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झारखंड में बर्बाद हुआ नक्सलियों का लाल गलियारा!आतंक के मास्टर को ऐसे पुलिस ने मारा

झारखंड में बर्बाद हुआ नक्सलियों का लाल गलियारा!आतंक के मास्टर को ऐसे पुलिस ने मारा

रांची(RANCHI): झारखंड में लाल आतंक का धीरे धीरे सफाया हो रहा है. कभी झुमरा और पारसनाथ के इलाके में नक्सली बंदूक के दम पर व्यवस्था चलाने का सपना देख रहे थे. लेकिन अब झुमरा से पारसनाथ तक बड़े माओवादियों का सफाया हो गया.हाल में सुरक्षा बल के जवानों ने घेर कर इस इलाके में आतंक मचाने वाले बड़े माओवादियों को ढ़ेर कर दिया. इस बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही बोकारो और गिरीडीह जिला पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा.

सबसे पहले बात झुमरा की करें तो यह बोकारो जिला में आता है. इस पहाड़ में कई बड़े माओवादियों का ठिकाना था.इसी झुमरा के पहाड़ में माओवादी अपनी जनता अदालत चलाते थे. लेकिन जब नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू हुआ. इसके बाद धीरे धीरे इलाके से नक्सलियों का खात्मा होना शुरू हुआ. अब ऐसी हाल में माओवादी है कि कोई नाम भी लेने वाला नहीं हैं. इसी का नतीजा है कि झुमरा में ही एक करोड़ के इनामी सेंट्रल कमिटी सदस्य प्रयाग मांझी को सटीक सूचना पर 21 अप्रैल को जवानों ने घेर कर मार गिराया. इसके साथ इसके दस्ते के आठ माओवादी मारे गए.

अब फिर से लुगुपहाड़ी में अभियान शुरू हुआ. सूचना मिली की नक्सलियों का दस्ता जंगल में घूम रहा है. जिसके बाद जवानों ने सर्च अभियान शुरू किया। हलाकी इस बार एक जवान की शहादत हुई. लेकिन पाँच लाख का इनामी कुँवर माझी को ढेर कर दिया. बताया जा रहा है कि प्रयाग मांझी के बाद इस इलाके में कुँवर संगठन को धार देने की कोशिश में था. साथ ही कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई थी. लेकिन जवानों ने सटीक जानकारी पर उसे मार गिराया है.

साथ ही अगर पारसनाथ इलाके की बात करें तो यहां भी कभी माओवादियों की तुति बोलती थी. इस जंगल में माओवादियों का अड्डा था. अगर इसे मुख्यालय कहे तो गलत नहीं होगा. लेकिन जब पारसनाथ के इलाके में बड़े पैमाने पर सर्च अभियान शुरू हुआ. तो कई बड़े माओवादी भाग कर सारंडा के जंगल पहुंच गए. बाकी बचे माओवादियों को जवानों ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया. साथ ही कई माओवादियों ने सुरक्षाबल के सामने हथियार डाल दिया.

लगातार चल रहे अभियान से माओवादियों की कमर टूटी है. गोला बारूद नक्सलियों तक नहीं पहुंच सका. जिस वजह से वह कमजोर हुए है. इसके पीछे की वजह साफ है कि हर बार जब अभियान की शुरुआत होती थी तो कुछ दिन बाद जवान वापस लौट जाते थे. लेकिन अब जिस इलाके में भी अभियान शुरू हुआ वह लंबा चला. और जवान अपने टारगेट को हिट करने के बाद ही वापस लौटे है. अब माओवादियों का गढ़ के रूप से सिर्फ सारंडा बच गया. जहां भी अभियान जारी है.                  

                         

Published at:20 Jul 2025 09:09 AM (IST)
Tags:Naxalites' red corridor destroyed in Jharkhand! This is how police killed the master of terrornaxal operation naxal operation 2025 anti naxal operation naxal operation india bokaro naxal operation cg anti naxal operation biggest naxal operation bijapur naxal operation abujmarh naxal operation naxal operation in telugu forest operation naxal sukma anti naxal operation indian army naxal operation bastar anti naxal operation anti naxal operation success naxal operation chhattisgarh amit shah anti naxal operation chhattisgarh naxal operation anti naxal operation in telugunaxal operation jharkhand jharkhand naxal operation jharkhand anti naxal operation naxalites operation in jharkhand operation against naxalites in jharkhand crpf operation jharkhand naxal operation jharkhand police operation jharkhand naxal lohardaga anti naxal operation crpf naxal operation naxal attack in jharkhand anti naxal operations jharkhand naxal attack naxal update jharkhand naxal terror jharkhand bokaro naxal operation news naxal violence in jharkhand
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