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दुमका से राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का हुआ शंखनाद, देश भर में किया जाएगा चक्का जाम और धरना-प्रदर्शन  

दुमका से राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का हुआ शंखनाद, देश भर में किया जाएगा चक्का जाम और धरना-प्रदर्शन  

दुमका(DUMKA): दुमका शहर के पोखरा चौक से आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का शंखनाद किया गया. कार्यक्रम में आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू शामिल हुए. पोखरा चौक पर स्थापित सिदो कान्हू की प्रतिमा पर आदिवासी सेंगल अभियान के सदस्यों ने माल्यार्पण किया. शहर में मशाल जुलुश निकाला गया. वीर कुंवर सिंह चौक पर सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि दुमका से राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह का उद्घोष किया जा रहा है. ताकि झारखंड और देश के समग्र आदिवासियों का हासा, भाषा, जाति, धर्म, इज्जत, आबादी, रोजगार, चासवास, प्रकृति पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन हो सके. 

सेंगेल के 5 प्राथमिक लक्ष्य

सेंगेल के 5 प्राथमिक लक्ष्य हैं - करो या मरो की तर्ज पर हर हाल में 2023 में सरना धर्म (प्रकृति धर्म) कोड को हासिल करना, झारखंड को "अबोआग दिशोम अबोआग राज" पुनर्स्थापित करना, झारखंड में संताली भाषा को प्रथम राजभाषा बनाना, असम-अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी का दर्जा दिलाना, आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में जनतांत्रिक एवं संवैधानिक सुधार लाना. परंतु इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वृहद आदिवासी एकता और जन आंदोलन की अनिवार्यता है. जिसमें सर्वाधिक बाधक तत्वों के रूप में दिशोम गुरु (सोरेन खानदान) और ईसाई (धर्म) गुरु चिन्हित और प्रमाणित हो चुके हैं. आदिवासियत की रक्षा में विफल दोनों के खिलाफ आज से विद्रोह का बिगुल फूंका जा रहा है. दोनों को बेनकाब किया जाएगा. दोनों ने आदिवासियों के साथ धोखा किया है. दिशोम गुरु ने आदिवासियों का सर्वाधिक वोट लेकर केवल अपने खानदान के लिए नोट और वोट की राजनीति का सुखभोग किया तो दूसरी तरफ ईसाई धर्मगुरुओं ने भी सर्वाधिक आदिवासियों को ईसाई बनाकर उनको उनकी भाषा संस्कृति की जड़ों से काटने का काम किया है. कुरमी-महतो ST मामला और बर्बरतापूर्ण रुबिका हत्याकांड मामले पर दोनों चुप क्यों हैं? चूंकि असली आदिवासी विरोधी वोट बैंक की राजनीति और धर्मांतरण के षड्यंत्र में दोनों शामिल हैं.

देश भर में किया जाएगा धरना-प्रदर्शन  

सालखन मुर्मू ने राष्ट्रीय आदिवासी विद्रोह के आगामी कार्यक्रम की रूप रेखा को विस्तार से रखा जिसके तहत 30 जनवरी 2023- को पूर्व घोषित रेलरोड चक्का जाम के बदले सरना धर्म कोड प्राप्ति के लिए देशभर में धरना, प्रदर्शन और जुलूस निकाला जाएगा. फरवरी 2023 में राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय सम्मेलन, दिल्ली में आयोजित होगा. 14 अप्रैल 2023 को रांची के मोरहाबादी मैदान में राष्ट्रीय स्तर का आदिवासी एकता जनसभा का आयोजन होगा. 30 जून 2023 - हूल दिवस से अनिश्चितकालीन आदिवासी असहयोग क्रांति- रेल रोड चक्का जाम, आर्थिक नाकेबंदी, भारत बंद आदि होगा.

सेंगेल झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम के अलावा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के लगभग 50 जिलों के 250 प्रखंडों में सक्रिय है. 2023 में इसे "फाइट टू फिनिश" के लिए खड़ा कर लिया जाएगा. प्रत्येक प्रखंड में कम से कम 1000 सेंगेल सेना बनाए जाएंगे. आदिवासी शुभचिंतक गैर आदिवासियों का भी सहयोग लिया जाएगा.

रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका  

Published at:01 Jan 2023 06:39 PM (IST)
Tags:National Tribal RebellionDumka Chakka jamChakka jam and picketing will be doneDUMKA NEWS JHARKHAND NEWS JHARKHAND JHARKHAND THENEWSPOST TNP
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