रांची (RANCHI): सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में आज कहीं भी आदिवासी अस्मिता और उनके हक की बात होती है, तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम जरूर लिया जाता है. राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने न केवल झारखंड में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी आदिवासी समुदाय की आवाज को मजबूती दी है. उन्होंने समाज के कल्याण, अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. उनके नेतृत्व में राज्य सरकार कई योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाने में जुटी है. हेमंत सोरेन ने आदिवासी संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता दी है और लगातार प्रयास कर रहे हैं कि आदिवासी समाज स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बने.
इसी कड़ी में कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पर देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस बैठक में आदिवासी समाज की पहचान, उनके अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास पर विस्तृत चर्चा हुई. प्रतिनिधियों ने कहा कि पूरे देश में आदिवासी समाज नेतृत्व की उम्मीदों से देख रहा है और हेमंत सोरेन इस दिशा में मजबूत और भरोसेमंद नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और आदिवासी समुदाय की स्थिति, उनके संघर्ष और सरकार की नीतियों पर बातचीत की.
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की धरती साहस, संघर्ष और स्वाभिमान की प्रतीक रही है. उन्होंने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन सहित कई आदिवासी वीरों को याद करते हुए बताया कि आदिवासी समाज ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
मुख्यमंत्री ने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर जोर दिया और शिक्षा व सामाजिक विकास के लिए राज्य सरकार की योजनाओं का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि झारखंड देश का पहला राज्य है जहाँ आदिवासी छात्र सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की भी बात की और कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति से जुड़ा है, लेकिन आज पर्यावरण को नुकसान पहुंचने से बाढ़, सुखाड़ और भूस्खलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. इसके लिए सभी को जिम्मेदारी निभानी होगी.
मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण पर जोर दिया और कहा कि संगठित और आत्मनिर्भर आदिवासी समाज ही भविष्य में भारत की ताकत बन सकता है. उन्होंने जल्द ही देश के विभिन्न राज्यों में जनसंपर्क अभियान चलाकर आदिवासी समाज के अधिकारों और पहचान को मजबूत करने की भी घोषणा की.
इस अवसर पर गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित कई राज्यों से प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी. बैठक में मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन, अशोक चौधरी और कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे.
