रांची(RANCHI): अब तक फर्जी तरीके से जमीन और घर की बिक्री होने की खबर तो आपने सुनी और पढ़ी होगी.कैसे किसी का घर जमीन को बाहुबली सरकारी बाबुओं से मिल कर बिक्री कर देते है. लेकिन अगर पूरा गांव ही कोई बेच दे तो फिर क्या कहेंगे.कुछ ऐसा ही पलामू देखने को मिला.जिले के एक गाँव को ही बाहुबलियों ने बेच दिया. खातियान गाँव के लोगों के ही नाम है,दावा है कि वह गाँव में सैकड़ों वर्ष से रह रहे है. लेकिन फर्जी तरीके से किसी ने पूरे गाँव की जमीन का पेपर किसी के नाम पर बना दिया.मामले की जानकारी मिलने के बाद पांकी विधायक शशिभूषण मेहता पहुंच कर सीधी चेतावनी बाहुबलियों को दी है.
गाँव में 150 से अधिक घर है
बताया जा रहा है कि पांकी प्रखंड में डेमा गाँव है. इस गाँव में ज्यादातर आबादी आदिवासी और दलित समाज के लोगों की है. जंगल के बीच इस गाँव में रहने वाले लोग ही जल जंगल जमीन के हकदार है. शुरू से ही एक छोटा आशियाना बना कर अपना जीवन बिताते है.लेकिन राज्य के हर कोने में आदिवासी दलित की जमीन की लूट मची है.इस मामले में पांकी विधायक शशिभूषण मेहता ने बताया कि इस गाँव में करीब 150 घर है और 600 से उपर की आबादी है.सैकड़ों वर्ष से रह रहे आदिवासी दलित की जमीन को कब्जे में लेने की कोशिश की जा रही है.
सरकारी अधिकारियों की मिली भगत से खेल
इस खेल में कब्जा करने वालों के साथ सरकारी अधिकारी भी शामिल है. आखिर किसी गाँव में बाहरी लोग अपने नाम का जमीन का पेपर कैसे तैयार कर सकते है. राज्य में जल जंगल जमीन की बात की जाति है. बावजूद इसके हर दिन जमीन की लूट हो रही है.उन्होंने बताया कि कब्जा करने वाले एक विशेष समुदाय से है. और इस राज्य में एक विशेष समुदाय के लोगों का मनोबल बढ़ा हुआ है.किसी भी कीमत पर जमीन नहीं दिया जाएगा. उन्होंने तल्ख तेवर में कहा कि अगर कोई अधिकारी या कब्जा करने वाले गाँव पहुंचते है तो फिर उनके साथ क्या होगा वह खुद नहीं जानते होंगे.
सीएम ने पहले ही जताई है चिंता
आदिवासी दलित की जमीन को बचाने के लिए वन अधिकार पट्टा देने की जरूरत है. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह चिंता कुछ दिन पहले ही जाहीर की थी “कि जहां भी आदिवासी दलित है उन्हे वानाधिकार पट्टा बनाने की जरूरत है”. जिससे आने वाले दिनों में विवाद ना हो और कोई किसी की जमीन पर कब्जा ना कर पाए.