दुमका(DUMKA): कहते है पुत्र कुपुत्र भले हो जाए लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती. ऐसा ही एक मामला दुमका जिला में सामने आया है. आखिरकार मां की ममता जगी और एक नवजात बिकने से बच गया. सीडब्लूसी की पहल पर नवजात को मां का आँचल मिल गया.
लावारिस नवजात के मिलने और उसको बेचने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
दर असल 24 मार्च को रानीश्वर थाना क्षेत्र में लावारिस अवस्था मे एक नवजात के मिलने और उसको बेचे जाने की प्रक्रिया से सबंधित एक वीडियो वायरल हुआ था. जिस पर संज्ञान लेते हुए दुमका के बाल कल्याण समिति बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने नवजात को अपने संरक्षण में लेकर जांच शुरू की. जांच पूरी करते हुए नवजात को उसके माता-पिता को सौंप दिया. इस नवजात शिशू को पश्चिम बंगाल के एक दंपत्ति को बेचने की बातचीत चलने का मामला सामने आया था.वीडियो वायरल होने के बाद चाइल्डलाइन के केन्द्र समन्वयक द्वारा नवजात शिशू को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. समिति ने नवजात को मिशनरीज ऑफ चौरिटी में आवासित कर दिया था. बाद में बच्चे की मां होने का दावा करते हुए एक महिला अपने देवर, देवरानी और देवर की सास के साथ समिति के समक्ष उपस्थित हुई थी
सीडब्लूसी की पहल से मासूम को मिली मां की ममता
चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी करते हुए चारों का बयान दर्ज करने के बाद इस मामले में चाइल्डलाइन के केन्द्र समन्वयक और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्रा से अलग-अलग बिन्दुओं पर रिपोर्ट मांगी थी. दोनों ने गांव और सीएचसी रानीश्वर जाकर इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट समिति को समर्पित कर दी.
ये है पूरा मामला
रिपोर्ट में बताया गया कि महिला ने 13 मार्च 23 को अपने देवर के घर में बच्चे को जन्म दिया था . उसी दिन जच्चा-बच्चा को रानीश्वर सीएचसी ले जाया गया था. इसके प्रमाण के रूप में सहिया, ग्राम प्रधान, ग्रामीणों का बयान और सीएचसी रानीश्वर के रजिस्टर की कॉपी भी प्रस्तुत की गयी है. अपने बयान में नवजात की मां ने बताया कि अस्पताल से छूट्टी होने के बाद वह बच्चे को लेकर देवर के घर वापस आ गयी थी और वहीं बच्चे का नामकरण संस्कार भी हुआ था. उसने समिति को यह भी बताया कि नवजात को बेचने की बात चल रही थी पर उसे न तो बेचा गया और न ही इसके एवज में कोई राशि ली गयी. उसने समिति को यह भी बताया कि वह बच्चे को किसी और को नहीं देगी. यह बच्चा उसका है, वही इसकी देखभाल करेगी। जांच रिपोर्ट, नवजात की मां का बयान और पिता की स्वीकारोक्ति के आधार पर समिति ने बालक के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेते हुए नवजात शिशू को उसके माता पिता को सौंप दिया.
रिपोर्ट: पंचम झा