धनबाद (DHANBAD) : साल 2024 के चुनाव को लेकर झारखंड एक बार फिर राजनीति की प्रयोगशाला बनने जा रहा है. अभी 2023 शुरू ही हुआ है लेकिन अभी से ही 2024 की तैयारी शुरू हो गई है. भाजपा, कांग्रेस, राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने झारखंड में कमान संभाल लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो बार झारखंड के दौरे पर आ चुके हैं. शनिवार को साहिबगंज में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हाथ जोड़ो अभियान के जरिए शंखनाद कर दिया है. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रांची में है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जोहार यात्रा के जरिए जनता की नब्ज टटोल रहे हैं. आजसू भी राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर रैली निकालकर 24 के लिए तैयारी शुरू कर चुकी है. इधर साहिबगंज में कांग्रेस के मंच साझा करने को लेकर भी कई संकेत मिले हैं. झारखंड में गठबंधन के भविष्य का भी संकेत मिल गया है. कांग्रेस और झामुमो नेताओं ने हाथ जोड़कर मजबूत एकता का परिचय दिया.
गठबंधन की सरकार
झारखंड में फिलहाल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद गठबंधन की सरकार चल रही है. राजमहल लोक सभा में आने वाले 6 विधानसभा सीटों में से एक को छोड़कर शेष पांच पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा का ही कब्जा है. इनमें से एक पर कांग्रेस तो 4 पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं. इधर भाजपा राजमहल लोकसभा सीट को प्रतिष्ठा से जोड़कर चल रही है. लेकिन राजमहल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन कारगर साबित होता रहा है. जब-जब दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़े, परिणाम उनके लिए सुखद रहा. मंच से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष झारखंड सरकार की भूरी-भूरी प्रशंसा की. एक बात और खास रही की बहुत दिनों के बाद संथाल परगना में कांग्रेस के नेताओं का जुटान हुआ. 2024 को टारगेट कर कॉन्ग्रेस संथाल परगना में काम करना चाहती है. इसके लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने का काम कर रही है.
कांग्रेस ने भाजपा पर बोला हमला
वैसे मंच से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भाजपा पर जमकर हमला बोला. कहा कि देश में महंगाई आज चरम पर है. भाजपा कहती है कि कांग्रेस ने 70 सालों में कोई काम नहीं किया है, तो भाजपा को बताना चाहिए कि देश में बड़े-बड़े कल कारखाने किसने खोलें, वंदे मातरम ट्रेन चलाकर भाजपा वाहवाही लूट रही है, लेकिन उसे यह बताना चाहिए कि जिस रेल लाइन पर ट्रेन चल रही है उस रेल लाइन को किसने बिछाया था. कुल मिलाकर कहा जाए तो झारखंड इस बार तमाम राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनने वाला है. अभी से यही हाल है तो आगे क्या होगा, जुबानी जंग बढ़ेगी, सब अपनी-अपनी डफली, अपनी-अपनी राय अलापेंगे. जनता को अपनी कामयाबी को बताने की कोशिश करेंगे. भाजपा चाहेगी कि झारखंड के 14 लोकसभा सीट उसकी झोली में जाए जबकि अन्य दल इसमें कुछ सीटें काट कर अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगे.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद