देवघर(DEVGHAR): देवघर एक प्रसिद्ध तीर्थनगरी होने के कारण प्रत्येक दिन यहां फूलों की अच्छी खपत है. इनमें से अधिकांश जरुरतें बाहर से फूल मंगा कर पूरी की जाती है. फूलों की खपत को देखते हुए अब यहां के किसान फूलों की खेती करने को आगे आ रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिलने से उनमें मायूसी है.
पारंपरिक की जगह फूल की खेती
देवघर में फूलों की अच्छी मांग है. फूल की अच्छी कीमत होने के कारण किसान भी अब इसकी खेती को प्रेरित हो रहे है. कई जगहो पर तो शिक्षित बेरोजगार किसान बनकर बंजर भूमि को कृषि योग्य बना दिया है. अब इस जमीन पर पारंपरिक खेती की जगह फूलों की खेती कर रहे हैं. जिससे स्थानीय स्तर पर उन्हें इसका उचित मुल्य मिल रहा है और ये तेज़ी से आर्थिक मजबूत बन रहे हैं.
संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए सरकार से मदद करने का आग्रह
तीर्थ नगरी होने के कारण आज भी यहां फूलों की जरुरत बाहर से मंगा कर पूरी की जा रही है. स्थानीय किसान भी मानते हैं कि फूलों की खेती और उससे जुड़े व्यवसाय की यहां अपार संभावनाएं है. लेकिन पर्याप्त सिंचाई की सुविधा और अन्य संसाधनों की कमी के कारण चाह कर भी किसान बड़े पैमाने पर फूलों की खेती नही कर पाते हैं. मजबूर हो कर किसान अब सरकार से आगे बढ़कर मदद की उम्मीद कर रहे हैं.
हज़ारों टन फूल की आवश्यकता प्रतिदिन होती है
बाबा नगरी में दैनिक पूजा-पाठ के अलावा शादी-विवाह और अन्य धार्मिक अनुष्ठान के अवसर पर साज-सज्जा के लिए लगातार फूलों की खपत बढ़ रही है लेकिन आज भी इसकी बड़ी जरुरत बाहर से फूलों को मंगा कर पूरी की जा रही है. ऐसे में सरकार अगर मदद का हाथ बढ़ाएं तो यहां के मेहनतकश किसान निश्चित ही इसे उद्योग का रुप दे सकते है और इसे स्वरोजगार का जरिया बना कर शिक्षित बेरोजगार आत्मनिर्भर बन सकते हैं.