धनबाद(DHANBAD): धनबाद सहित झारखंड के 24 जिलों में लगभग 3. 50 करोड़ की दवाएं अनयूज़्ड पड़ी हुई है. इन दवाओं का भविष्य अब क्या होगा, यह तो जांच रिपोर्ट पर भी निर्भर करेगा. लेकिन यह दवाएं बिना गुणवत्ता जांचें जिले के अस्पतालों को क्यों भेज दी गई, यह बड़ा सवाल है और इस सवाल का जवाब तो सरकार को आज नहीं तो कल देना ही होगा. मरीजों के बीच बांटने के लिए झारखंड मेडिकल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोक्योरमेंट कारपोरेशन लिमिटेड ने झारखंड के सभी 24 जिलों में लगभग 3. 50 करोड़ रुपए की आयरन एंड फोलिक एसिड सिरप की आपूर्ति की है. लेकिन यह दवाएं अस्पतालों में डंप करके रखी गई है. उनका वितरण नहीं हो पा रहा है, वजह है कि दवा की गुणवत्ता की जांच नहीं हुई है.
सूत्रों के अनुसार, बगैर गुणवत्ता की जांच किए 40 लाख से भी अधिक दवाओं की बोतल जिलों को भेज दी गई है. अधिकारियों के अनुसार, अब जिलों से सैंपल राज्य को भेजा जाएगा, वहां इसकी गुणवत्ता की जांच होगी. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दवाओं का वितरण किया जा सकेगा.
जाँच रिपोर्ट की इंतजार कर रही है दवाएं
जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक दवाएं यूं ही पड़ी रहेंगी. जिले के सरकारी अस्पतालों में वितरण के लिए राज्य सरकार आयरन एंड फोलिक एसिड सिरप भेजती है. कंपनी के निर्देश पर सप्लायर ने इसकी आपूर्ति जिले के वेयर हाउस में कर दी है. इस संबंध में सूत्रों का कहना है कि कंपनी को जिलों में दवा भेजने के पहले इसकी गुणवत्ता की जांच करा लेनी चाहिए थी और इसके बाद ही इसकी आपूर्ति होनी चाहिए थी. इससे फायदा यह होता कि दवा मिलते ही इसका वितरण शुरू हो जाता और मरीजों को इसका लाभ मिलने लगता. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं है. अब 24 जिलों से दवा की सैंपल रांची जाएगी और वहां की गुणवत्ता की जांच होगी. यह जानबूझकर किया गया है या इसके पीछे कोई गणित है, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन सामान्य तौर पर यह समझने वाली बात है कि जिलों से सैंपल जांच के लिए रांची भेजने के बजाय रांची से ही दवाओं की जांच कर अगर जिलों को भेजी जाती तो मरीजों को भी सहूलियत होती और दवाई भी काम में आने लगती. सूत्र बताते हैं कि अगर जिलों से दवा का सैंपल भेजा जाएगा तो रिपोर्ट आने में कम से कम 2 महीने का या अधिक का समय लग सकता है और अधिक भी वक्त लग जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
मैन्युफैक्चरिंग डेट सितंबर 2022 और एक्सपायरी डेट फरवरी 2024 है
दवाओं का मैन्युफैक्चरिंग डेट सितंबर 2022 है और एक्सपायरी डेट फरवरी 2024 अंकित है. दवा की आपूर्ति दिसंबर महीने में की गई, जांच में दो-तीन महीने और लगेंगे, एक तो दवाओं की अवधि कम रहेगी और अभी जिन दवाओं के लिए लोगों को जरूरत थी, वह मिलेगी भी नहीं. अधिकारियों को अलग ही परेशानी है. झारखंड सरकार को इस मामले को लेकर सजग होना चाहिए. सरकार को यह जानना चाहिए कि आखिर इस तरह से गैर जिम्मेदाराना काम किस स्तर पर हुआ है और जिस स्तर पर हुआ है, उसकी पहचान कर क्या उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. अगर हम धनबाद की बात करें तो धनबाद में भी दवा आई है लेकिन अभी किसी काम की नहीं है. अस्पताल प्रबंधन भी रिपोर्ट के इंतजार में है. अगर रिपोर्ट नकारात्मक आई तो फिर दवा वापस होंगी और फिर नए ढंग से दवा की आपूर्ति होगी. यह सब जानबूझकर हुआ है या गलती से, यह तो जांच का विषय है लेकिन जरूरतमंद लोगों को समय पर दवा नहीं मिल रही है या तो बिलकुल सच है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद