धनबाद(DHANBAD): धनबाद शहर में मंगलवार को काफी भीड़ जुटी थी . शहर के गोल्फ मैदान में कार्यक्रम किया गया . किसान संग्राम समिति का बैनर लगाकर यह कार्यक्रम हुआ . मकसद साफ़ और दूरगामी दिखा. ए के राय गठित MCC ने आज अपनी ताकत दिखाई. इंडिया गठबंधन का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की. अब तक MCC निरसा अथवा बलियापुर में कार्यक्रम करता था. इतने बड़े स्तर पर धनबाद में अभी चुनाव के समय कार्यक्रम करने के माने - मतलब तो होंगे ही. कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही मतलब निकाले जाने लगे थे. तो क्या यह कार्यक्रम "इंडिया" गठबंधन पर दबाव बनाने की एक रणनीति है. क्या इस बार MCC "इंडिया" गठबंधन में शामिल नहीं होगा. क्या इस बार इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ेगा, ऐसे में कौन होंगे उम्मीदवार. ऐसे कई सारे सवाल हैं, जो इसके साथ ही फिजा में तैरने लगे .
2019 के चुनाव में MCC गठबंधन में था और कांग्रेस लड़ रही थी चुनाव
2019 के चुनाव में MCC गठबंधन में था. उस समय धनबाद सीट कांग्रेस के पाले में थी. अभी सभी दल मिलकर "इंडिया" गठबंधन बनाया है. ऐसे में हर एक दल की इच्छा होगी कि उसे अधिक से अधिक सीट मिले. यह अलग बात है कि ए के राय धनबाद से सांसद रह चुके थे. लेकिन उनके बराबर का नेता का अभी MCC को इंतजार है. बलियापुर के पूर्व विधायक आनंद महतो की उम्र हो गई है. वह चाहकर भी बहुत सक्रिय नहीं रह सकते है. ऐसे में सब की निगाहें निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी पर टिकती है. वैसे भी धनबाद सीट पर MCC की नजर है या नहीं, इसका तो कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है. आज की गतिविधियां बता रही है कि तैयारी हो रही है. वाहनों की भीड़ यह बता रही है की कार्यक्रम का मकसद कोई बड़ा है. पैदल चलकर तो अब कार्यकर्ता या ग्रामीण पहुंचते नहीं है. सबको गाड़ियों से लाना पड़ता है.
गाड़ियों की कतार भी लंबी थी,महंगी गाड़ियां भी थी
आज गाड़ियों की कतार भी लंबी थी. टेंपो की संख्या अधिक थी तो कीमती गाड़ियां भी दिख रही थी. भीड़ का जुटान अच्छा था . यह सब देखते हुए राजनीतिक पंडित यह सवाल कर रहे हैं कि क्या इंडिया गठबंधन पर दबाव बनाने की यह कोई राजनीति तो नहीं. वैसे एके राय,शिबू सोरेन और विनोद बाबू ने मिलकर धनबाद में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था. लेकिन बाद में दोनों की राहें अलग हो गई. एके राय MCC नमक पार्टी बना ली और विनोद बाबू झारखंड मुक्ति मोर्चा में बने रहे.एके राय अब इस दुनिया में नहीं है. वह राजनीतिक संत माने जाते रहे. 1977 में धनबाद जेल में रहते हुए सांसद का चुनाव जीता. वह समय इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर का था. उसके बाद भी वह सांसद रहे. फिलहाल MCC के "थिंक टैंक" ने क्या सोचकर ,क्या समझ कर यह कार्यक्रम शहर में किया है, इसका उत्तर तो आने वाला समय ही दे सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो