टीएनपी डेस्क(TNP DESK): ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. आज सुहागिन अपने पति की दीर्घायु की कामना लिए वट सावित्री की पूजा कर रही है. सुहागिनों के लिए वट सावित्री की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है.
मान्यता है कि बरगद पेड़ में ब्रह्मा,विष्णु,महेश का वास होता है यही कारण है कि सावित्री ने इसी पेड़ के नीचे बैठकर ही अपने मृत पति को जीवित कराया था. वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा जी, तने में विष्णु और डालियों एवं पत्तों में शिव का वास है. इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा कहने और सुनने से मनोकामना पूरी होती है. आज के दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से वट पेड़ की पूजा करती नजर आ रही है. व्रत रखने वाली महिलाएं बरगद के पेड़ को जल,फल,फूल चढ़ा कर कुमकुम,अक्षत लगाती हैं और पेड़ के चारों तरफ परिक्रमा कर कच्चा सूत बांधती हैं.
इस दिन सती सावित्री की कथा सुनना बहुत ही शुभ माना गया है. महिलाओं की माने तो आज के दिन वट सावित्री की पूजा करने से पति की दीर्घायु के साथ पूरे परिवार में सुख,शांति और समृद्धि मिलती है. जिला भर के तमाम वट वृक्ष की पूजा अर्चना करने के लिए सुहागिनों की भीड़ देखी जा सकती है. इस पर्व में नया फल और बांस वाला पंखा का विशेष महत्व है. महंगाई की बात करें तो बाजार में सेव 200 रुपये किलो,आम 120,लीची 260,केला 120 रुपया दर्ज़न,खीरा 80 रुपये किलो,नारियल 70 रुपये पीस,पंखा 15 से 40 रुपये तक बिका है. व्रती के परिजन अपने जेब के अनुसार फल और पूजन सामग्री खरीदे है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा