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शिवलिंगी फूल में साक्षात विराजमान है महादेव, जानें दारुक वन में मिलनेवाले इस फूल की खासियत

शिवलिंगी फूल में साक्षात विराजमान है महादेव, जानें दारुक वन में मिलनेवाले इस फूल की खासियत

दुमका(DUMKA): सनातन धर्म मे फूल का विशेष महत्व है. हर फूल किसी ना किसी देवी देवताओं के प्रिय होते है. पिला फूल भगवान विष्णु को तो अड़हुल लाल फूल शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा का प्रिय माना जाता है. लेकिन आज हम जिस फूल की बात कर रहे है, वे फूल देवाधिदेव महादेव के अति प्रिय माने जाते हैं. अगर कहें कि महादेव साक्षात उस फूल में निवास करते हैं. तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. हम बात कर रहे है विलुप्तप्राय शिवलिंगी फूल प्रजाति के फूल की.

फूल में नजर आती है शिवलिंग की आकृति 

शिवलिंगी फूल की बनाबट को गौर से देखेंगे तो आपको लगेगा कि कमल के पंच दल पर सर्प फन काढ़े हुए है. सर्प के मुख में सहस्त्र दल के बीच एक शिवलिंग की आकृति नजर आती है. तभी तो कहा जाता है, कि साक्षात शिव इस फूल में निवास करते हैं. इसी बनाबट की वजह से इसे शिवलिंगी फूल कहते है.

महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस फूल की रचना हुई

शिवलिंगी फूल पौधा या झाड़ी में नहीं खिलता बल्कि इसके विशाल पेड़ होते है. जेष्ठ महीने से लेकर सावन महीने तक यह फूल खिलता है. सावन का महीना शिव का महीना माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस फूल को महादेव पर अर्पित करने से शिव अति प्रसन्न होते हैं. और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. तीर्थ पुरोहित संजय झा कहते है, कि इस फूल की बनाबट ही इसे खास बनाता है. उनका मानना है कि साक्षात देवता ने देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस फूल की रचना की है.

दारुक वन या महादेव की बगिया में है शिवलिंगी के कई पेड़

दुमका जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम है. सालों भर यहां श्रद्धालु आते है, और फौजदारी बाबा पर जलार्पण करते है. सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. बासुकीनाथ मंदिर से सटा है दारुक वन, जिसे महादेव की बगिया भी कहा जाता है. दारुक वन में शिवलिंगी के कई पेड़ हैं. इसे जानने वाले श्रद्धालु दारुक वन पहुंच कर शिवलिंगी फूल तोड़ कर फौजदारी बाबा पर अर्पित करने का प्रयास जरूर करते हैं.

दारुक वन में कई शिवलिंगी फूल के पेड़

दारुक वन की एक अलग ही किंवदंती है. जनश्रुति के अनुसार यहाँ दारुक नामक राक्षस का वास था. दारुक राक्षस अपने साथ अपनी बगिया लेकर चलता था ताकि अपने आराध्य की पूजा में फूल की कमी ना हो. किंवदंती है कि दारुक ने एक शिव भक्त को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. भक्त की पुकार सुनकर शिव बासुकीनाथ पहुंचे. शिव के आते ही दारुक इस स्थल को छोड़ कर समुद्र में निवास करने चला गया. उसकी बगिया बासुकीनाथ में ही रह गया. कालांतर में दारुक वन को शिव की बगिया कहा जाने लगा.

मेडिशनल प्लांट की श्रेणी में आता है शिवलिंगी का पेड़

धार्मिक महत्व के साथ साथ शिवलिंगी का पेड़ मेडिशनल प्लांट की श्रेणी में माना जाता है. शिवलिंगी का फूल हो, पत्ता हो, जड़ हो या तना, कई तरह के असाध्य रोग के उपचार में काम आता है विलुप्ति के कगार पर खड़े इस प्रजाति के वनस्पति को संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस दैवीय चमत्कार से अवगत हो सके.

रिपोर्ट-पंचम झा

Published at:05 Jun 2023 10:27 AM (IST)
Tags:Mahadev Shiva MahadevShivaShivlingi flowerMahadev Shiva is seated in Shivlingi flowerknow the specialty of this flower found in Daruk forestflower
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