TNP DESK : कोयलांचल में इस बार के लोकसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला होगा. धनबाद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने ऐसे चेहरे पर दांव खेला है, जिससे विरोधी भी आश्चर्यचकित हो गया है. कांग्रेस ने इस क्षेत्र से अनुपमा सिंह को टिकट दिया है. इनका मुकाबला बाघमारा से तीन बार के विधायक व भाजपा उम्मीदवार ढुल्लू महतो से होगा. वहीं अनुपमा सिंह के मैदान में उतरने से सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है.
कौन हैं अनुपमा सिंह
कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह कोयलांचल के दिग्गज नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह की पुत्र वधु और बेरमो विधायक अनूप सिंह उर्फ कुमार जयमंगल की पत्नी हैं. इनकी शादी करीब दस पहले हुई है. उन्होंने पटना वीमेंस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. कांग्रेस नेता अनुपमा सिंह के पिता पेशे से डॉक्टर हैं. वह समाज में महिलाओं के दुःख दर्द को समझती हैं. कई मौके पर कार्यक्रमों और जनसभा के लिए भीड़ जुटाने में भी अनुपमा सिंह को महारत हासिल है.
अनुपमा सिंह को विरासत में मिली सियासत
धनबाद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अनुपमा सिंह सीधे तौर पर राजनीति में कभी नहीं रहीं, पर पति व ससुर के लिए बेरमो में समय-समय पर मोर्चा संभालती रहीं हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. बता दें कि बीते दिनों न्याय यात्रा जब बेरमो में था, तब अनूप सिंह की गैरमौजूदगी में वह राहुल गांधी के साथ मंच साझा करती नजर आयी थीं. इसके बाद से ही उनकी राजनीति में आने की चर्चा हो गयी थी. बताया जाता है कि जब राजेंद्र प्रसाद सिंह विधायक थे, उस समय भी लोगों से मुलाकात करती थीं. बाद में पति अनूप सिंह विधायक बने तो क्षेत्र के लोगों से उनका मिलना-जुलना और परेशानियों को समझ कर समस्या का समाधान करना दिनचर्या में शामिल हो गया. वर्ष 2020 में दिग्गज नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद उपचुनाव में अनुपमा सिंह ने अपने पति के लिए भी चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ली थीं. बेरमो सीट से खुद राजेंद्र सिंह छह बार विधायक रहे थे. वह दशकों तक कांग्रेस के लेबर ऑर्गेनाइजेशन इंटक के नेशनल सेक्रेटरी रहे. इस वजह से पूरे भारत में उनकी पहचान ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर रही. यह पहली बार है, जब परिवार की बहू अनुपमा सिंह राजनीति में सीधे सांसद प्रत्याशी के तौर पर पदार्पण कर रही हैं.
धनबाद लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
कोयलांचल के नाम से मशहूर धनबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें धनबाद, बोकारो, सिंदरी, झरिया, चंदनकियारी और निरसा विधानसभा क्षेत्र शामिल है. यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 22 लाख से अधिक मतदाता वाले धनबाद लोकसभा क्षेत्र में एसटी, एससी, मुस्लिम, ठाकुर, ब्राह्मण वोटरों का दबदबा है. अनुसूचित जनजाति-14 प्रतिशत, अनुसूचित जाति करीब 9 फीसदी और अल्पसंख्यक की करीब 15 फीसदी आबादी है. जबकि कुड़मी की आबादी लगभग 10 फीसदी है. इसके साथ एक बड़ी संख्या दूसरी पिछड़ी जातियों की है.
क्या है चुनावी मुद्दे
प्रतिवर्ष अरबों रुपए का राजस्व देने वाले धनबाद में एयरपोर्ट नहीं है, जो इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दा होगा. एयरपोर्ट को लेकर समय-समय पर आंदोलन होता रहा है, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुआ है. धनबाद में विस्थापन और नियोजन भी एक बड़ा मुद्दा रहा है. कोयला उद्योग में आउटसोर्सिंग परियोजनाओं को लेकर लगातार जमीन अधिग्रहण में समस्या आ रही है. मुआवजा को लेकर आंदोलन भी होते रहा है. प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है. यहां सार्वजनिक परिवजन की व्यवस्था सहीं नहीं होने के कारण तय मानक से अधिक वायु प्रदूषण रहता है. जिसके कारण लोग बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. झरिया पुनर्वास योजना में तेजी तथा अग्नि प्रभावित इलाके के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास करने का भी इस चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा. हालांकि अनुपमा सिंह के प्रत्याशी घोषणा होने के बाद उनके पति व बेरमो विधायक अनूप सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है. अब तो आने वाले चुनाव परिणाम में ही पता चलेगा कि सियासी जंग में ढुल्लू महतो और अनुपमा सिंह में कौन बाजी मारता है.