रांची (RANCHI) : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर शतरंज की बिसात गई है. विभिन्न पार्टियों ने शतरंज की चालों की तरह अपनी-अपनी चालें चल रही है. झारखंड में इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ही खेमों में अब हर दिन चुनावी रणनीति को लेकर शतरंज की चालें चलते हुए एक-दूसरे को मात देने में लगे हुए हैं. एक-एक मोहरे को ठीक जगह पर रख व्यूह रचना बना रहे हैं. ताकि चुनाव में अपने रणनीति के हिसाब से चाल चल सके. राज्य में शतरंज के खेल की तरह राजनीति में भी शह और मात हो रही है. इंडिया गठबंधन जिस हिसाब से आगे बढ़ रही थी उस हिसाब से आगे नहीं बढ़ पायी. उम्मीद की जा रही थी झारखंड में इंडिया अलांइस एक मजबूत गठबंधन होगा और विपक्ष को कड़ी टक्कर देगा. लेकिन आपस में मनमुटाव होने के कारण राज्य के चार लोकसभा सीटों पर अपने ही पार्टी के नेताओं ने चुनावी मैदान में ताल ठोक कर राह में रोड़ा अटकाने का काम किया है. इंडिया गठबंधन जिस तरह से बिखर रहा है, उसका पूरा श्रेय एनडीए को नहीं दिया जा सकता है, इसके काफी जिम्मेदार विपक्षी दलों के नेताओं का भी है.
लोहरदगा में सुखदेव भगत की बढ़ी परेशानी
सबसे पहले लोहरदगा सीट की बात करें तो यहां से झामुमो के बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है. इस सीट से बीजेपी के समीर उरांव और कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत मैदान में हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति स्पष्ट रूप से दिख रही है. चमरा लिंडा का अपना वोट बैंक है. बिशुनपुर विधायक का मुस्लिम, ईसाई और आदिवासियों मतदाताओं के बीच अच्छी पकड़ है. इसलिए कांग्रेस उम्मीदवार सुखदेव भगत की परेशानी बढ़ गई है. पिछले लोकसभा चुनाव में सुखदेव भगत ने बीजेपी के सुदर्शन भगत को कड़ी टक्कर दी थी. वे करीब दस हजार वोट से हार गए थे.
लोबिन के चुनाव लड़ने से किसका होगा नुकसान
राजमहल से झामुमो के बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने चुनाव लड़ने का एलान किया है. यहां से झामुमो के विजय हांसदा और बीजेपी के ताला मरांडी चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. राजमहल सीट से विजय हांसदा दो बार सांसद रहे हैं. वे तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिये हैं. बता दें कि जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे तब उनके नेतृत्व पर कई बार सवाल उठाए थे. हाल के दिनों में राजमहल सांसद विजय हांसदा पर भी कई बार निशाना साध चुके हैं. अब वे झामुमो से बागी होकर राजमहल से चुनाव लड़ने की बात कही है. अगर उन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया तो विजय हांसदा को कुछ वोट का नुकसान होगा. ऐसे में बीजेपी और झामुमो में मुकाबला कड़ा हो जायेगा.
झामुमो से बागी होकर जेपी वर्मा बिगाड़ेंगे खेल
बात अगर कोडरमा लोकसभा सीट की करें तो यहां से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को टिकट दिया है. वे 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राजद छोड़ बीजेपी का दामन थामा था और पहली बार सांसद चुनी गई थीं. इस बार फिर कोडरमा सीट से मैदान में हैं. वहीं इंडिया अलांयस में शामिल माले से बगोदर विधायक विनोद सिंह को कोडरमा से उम्मीदवार बनाया है. वे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. अब इस सीट से झामुमो नेता जेपी वर्मा ने चुनाव लड़ने का एलान किया है. वे कुछ माह पहले ही बीजेपी छोड़ झामुमो में शामिल हुए थे. उन्हें उम्मीद थी कि कोडरमा से पार्टी टिकट देगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. गठबंधन के तहत यह सीट माले के खाते में चली गई. गांडेय के पूर्व विधायक जेपी वर्मा के एलान से यहां का समीकरण बिगड़ सकता है.
चतरा में गिरिनाथ सिंह किसे पहुंचाएंगे फायदा
चतरा में बाहरी-भितरी के मुद्दा के बीच भाजपा ने इस बार स्थानीय उम्मीदवार कालीचरण सिंह को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है. जबकि इस सीट पर राजद अपनी दावेदारी पेश कर रही थी, लेकिन कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों की बात नहीं सुनी. जिसके कारण मामला फंसता हुआ नजर आ रहा है. यहां से राजद नेता गिरिनाथ सिंह ताल ठोक रहे थे. बताया जाता है कि वे निर्दलीय या बसपा की टिकट पर अपनी किस्मत अजमाएंगे. वे भी हाल ही में टिकट की आस में बीजेपी छोड़ राजद में शामिल हुए थे, लेकिन यहां भी उनको निराशा ही हाथ लगी. अगर गिरिनाथ सिंह चतरा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. इस चुनाव में कौन किसका खेल बिगाड़ता है ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि इन बागियों के उतरने से एनडीए और इंडिया दोनों की परेशानी बढ़ सकती है.