धनबाद(DHANBAD): धनबाद, गोड्डा और चतरा से कांग्रेस के उम्मीदवारों ने पहली लड़ाई तो जीत ली है लेकिन अब उनकी अग्नि परीक्षा शुरू होगी. क्योंकि "भितरघातियों" से खुद को बचाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. तीनों सीट पर उम्मीदवारों की लंबी सूची थी और सभी टिकट पाने के इच्छुक थे. लेकिन बाजी अनुपमा सिंह, दीपिका पांडे सिंहऔर केएन त्रिपाठी ने मारी है. कांग्रेस सात सीटों पर झारखंड में चुनाव लड़ रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी. इस बार सीटों की संख्या नहीं बढ़ी तो झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की भी किरकिरी हो सकती है. झारखंड में सबसे अधिक सीट पर कांग्रेस ही चुनाव लड़ रही है. "भितरघातियों" को मनाने के लिए सिर्फ उम्मीदवार ही नहीं बल्कि प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को भी कड़ी मिहनत करनी पड़ सकती है.
धनबाद में कांग्रेस का मुकाबला विधायक ढुल्लू महतो से होगा
धनबाद में कांग्रेस का मुकाबला विधायक ढुल्लू महतो से होगा तो गोड्डा में निशिकांत दुबे सामने होंगे. तो चतरा से स्थानीय कालीचरण सिंह चुनौती देंगे केएन त्रिपाठी को. धनबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. शायद कांग्रेस के खाते से वह पहली महिला उम्मीदवार होंगी. यह अलग बात है कि अनुपमा सिंह के ससुर प्रसिद्ध मजदूर नेता राजेंद्र सिंह का कार्यक्षेत्र धनबाद भी रहा है. इंटक के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे के साथ उन्होंने बहुत दिनों तक कोयला क्षेत्र में काम किया है. बेरमो से विधायक रहते आए है. उनके निधन के बाद उनके पुत्र अनूप सिंह बेरमो से विधायक है. लेकिन अनूप सिंह ने लंबी छलांग लगाते हुए धनबाद से कांग्रेस का टिकट अपनी पत्नी के नाम कारवा लिया है. यह अलग बात है कि अनूप सिंह को धनबाद में कई कोणों पर काम करना होगा. पहली चुनौती तो होगी टिकट के रेस में शामिल लोगों को भरोसे में लेने की.
अनुपमा सिंह के देवर कुमार गौरव भी टिकट के रेस में थे
पहले तो उन्हें अपने घर में भी समर्थन लेना होगा, क्योंकि अनुपमा सिंह के देवर कुमार गौरव भी टिकट के रेस में थे और भी कई लोग धनबाद से कांग्रेस का टिकट चाहते थे. निश्चित रूप से उन लोगों को विश्वास में लेना होगा. वैसे, कांग्रेस ने मंगलवार को जिन तीन सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा की है ,सभी के साथ प्राय यही स्थिति रहेगी. उन्हें टिकट के रेस में शामिल लोगों का पहले समर्थन लेना होगा, तब जाकर मुकाबला कड़ा हो सकता है. धनबाद सीट पर तो प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की भी नजर थी. ऐसे में राजेश ठाकुर के खिलाफ जाकर धनबाद से टिकट लेने में अनुपमा सिंह ने सफलता पाई है. धनबाद लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आते है. जिनमें निरसा , सिंदरी, धनबाद, झरिया, बोकारो और चंदनकियारी शामिल है. सबसे अधिक वोटर बोकारो विधानसभा क्षेत्र में है. ऐसे में अनुपमा सिंह को बोकारो विधानसभा का भी समर्थन हासिल करना होगा और इसके लिए धनबाद और बोकारो के कांग्रेसियों को एकजुट रखना उनके लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. वैसे गोड्डा की बात की जाए तो दीपिका पांडे सिंह ने कांग्रेस का टिकट लेने में सफलता हासिल की है. निशिकांत दुबे तीसरी बार के सांसद है.
दीपिका पांडे सिंह को भी "अपनों" को मनाने की चुनौती होगी
दीपिका पांडे के लिए अपनी पार्टी के नेताओं को मनाना भी कम चुनौती नहीं होगी. प्रदीप यादव और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी भी गोड्डा से दावेदार थे. लेकिन बाजी दीपिका पांडे सिंह के हक में गई. ओबीसी और मुस्लिम वोट पाने के लिए दीपिका पांडे को प्रदीप यादव और फुरकान अंसारी का साथ जरूरी होगा. चतरा की बात की जाए तो पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया गया है. डाल्टनगंज से वह विधायक बने थे और मंत्री भी बने थे. लेकिन 2014 और 2019 में उनकी हार हुई. उनका मुकाबला भाजपा के कालीचरण सिंह से होगा. आजादी के बाद से आज तक चतरा से कोई स्थानीय चुनाव नहीं जीत पाया है. 2024 के चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी की मांग तेज हुई तो भाजपा ने दो बार के सांसद का टिकट काटकर कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी को चतरा से दूसरे दावेदारो को मनाना कम चुनौती नहीं होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो