टीएनपी डेस्क(TNP DESK): रांची एक बार फिर दहल गई है अब तक श्रद्धा वालकर के टुकड़ों से देश उबरा भी नहीं था की एक और बेटी टुकड़ों में कट गई. हत्या का पैटर्न भी सेम टू सेम . जी हां हम बात कर रहे है लव जिहाद की एक और शिकार झारखंड के पहाड़िया जनजाति की बेटी रुबिका की. मालूम हो कि पति सास और मामा ससुर के द्वारा 50 से अधिक टुकड़े में काटी गई रुबिका के शरीर के आधे से अधिक टुकड़े पुलिस को अबतक मिल चुके हैं. जिसमें सिर मिलने की सूचना अबतक नहीं मिली है. हत्या के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं और उनसे लगातार पूछताछ जारी है. जिसके निशान देह पर पुलिस रुबिका के शरीर के सभी टुकड़ों को एकत्र कर रही. पुलिस की पूछताछ में ये तथ्य सामने आया है कि दिलदार पहले से शादीशुदा था और पहड़िया जनजाति की लड़की को अपने प्रेम जाल मे फंसा कर लीव इन में रहने लगा था. रुबिका के घर वालों ने जब इस लीव इन के रिश्ते का विरोध किया तो दोनों भाग कर थाने पहुंचे और पुलिस वालों की मौजूदगी में दोनों की शादी कराई गई. इसके बाद से ही शुरू हो गया रुबिका पर प्रताड़ना का दौर. दिलदार से शादी के बाद ससुराल में कोई भी रुबिका को पसंद नहीं करता था कारण था उसका मुस्लिम न होना. इस बात को लेकर पति दिलदार सहित सास मरियम, मामा मैनउल हक और मामी जैनऊ निशा भाई महताब अंसारी और बहन सरेज खातून उसपर दबाव बना कर प्रताड़ित करती थी. इस्लाम को न स्वीकारने से दिलदार और उसके परिवार ने रुबिका की हत्या की योजना बनाई और अपने मामा के घर ले जा कर इन सभी आरोपियों ने मिलकर रुबिका की गला रेत कर उसकी हत्या कर दी. बता दें हत्या का तरीका बिल्कुल वैसा ही जैसा श्रद्धा वालकर के साथ हुआ था. मीट काटने वाले कटर से रुबिका के शरीर के लगभग पचास टुकड़े किए और प्लास्टिक में पैक कर फेंकते रहे हत्यारे आरोपी. बता दें पकड़े जाने के बाद ही दिलदार ने खुलासा किया कि इस्लाम को स्वीकार न करने के कारण ही रुबिका की हत्या अम्मी और मामा के साथ मिल कर कर दी गई. और लाश के टुकड़ों को सुनसान आचार गोदाम के आस पास फेंक दिया गया. बता दें पुलिस को अबतक काली पॉलिथीन में पैक रुबिका के शरीर के कई टुकड़े प्राप्त हो चुके हैं और कई टुकड़ों की प्राप्ति होनी बाकी है .
पुलिस के रवैये पर भी उठ रहा है सवाल
ये कोई पहली रुबिका या श्रद्धा नहीं थी पर सवाल ये है कि अपराधी का मनोबल इतना क्यों बढ़ा हुआ है की ऐसे जघन्य अपराध करते हुए अपने अंजाम को नहीं सोचते. क्या इसका एक कारण भारतीय कानून की लचर व्यवस्था है या शिक्षा की उदासीनता. सवाल तो कई है पर सबसे अहम सवाल है की लव जिहाद के कारण और कितनी रुबिकाएं और श्राद्धएं काटी जाएंगी. क्यों नहीं है कानून का खौफ. इन सबके बीच एक सवाल ये भी उठता है की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रुबिका की बहन ने जैसा बताया की इन दोनों की शादी थाने में कराई गई थी तो क्या पुलिस कर्मी ने ये पता लगाने की जहमत नहीं उठाई की दोनों प्रेमियों की पारिवारिक स्थिति क्या है. क्या दो अलग धर्मों के लोगों के विवाह में इतनी जल्दबाजी सही थी. पहाड़िया लड़की और शादीशुदा दिलदार की शादी पुलिस की मौजूदगी में थाने में कराई गई क्या पुलिस पर एक सवाल नहीं बनता है कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों थी. क्या इसके अलावा कोई उपाय नहीं था इस मामले को सुलझाने का. क्या काउंसिलर की मदद ले कर कोई रास्ता नहीं निकाला जा सकता था. आखिर क्यों एक शादीशुदा मुस्लिम युवक की शादी एक कुंवारी जनजातीय लड़की से पुलिस थाने में कराई गई क्या पुलिस भी अपने लचर रवैये के कारण दोषी है. बता दें आरोपी पति दिलदार पहले से शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है. मगर, फिर भी उसने मृतिका रुबिका को प्रेम जाल में फंसा कर उससे शादी की. महिला के घरवाले इस शादी के विरोध में थे. ऐसे में थाने में एकाएक दोनों बचते बचाते आए और पुलिस वालों ने उनकी शादी करा दी. एक तो ये पूरा मामला लव जिहाद का ऊपर से थाने का सहयोग अपने आप में अनगिनत सवाल खड़े कर रहा है.
विधानसभा में उठा मामला, हेमंत से इस्तीफे की मांग
एक तरफ इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया तो वहीं झारखंड विधान सभा सत्र में इस हत्याकांड की गूंज सुनाई दी. विधानसभा के बाहर से ही भाजपा नेताओं ने रुबिका हत्याकांड को लेकर सरकार विरोधी नारे लगाए साथ ही झारखंड में विधि व्यवस्था पर भी सरकार को घेरा . रविवार शाम से ही इस मुद्दे पर सरकार से जवाब तलब की रणनीति बन चुकी थी. इस पूरे मामले को बीजेपी लव जिहाद से जोड़ कर देख रही है और शीतकालीन सत्र में ये मुद्दा गरमाया हुआ है. बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य को इस्लामीकरण की ओर ले जा रही है हेमंत सोरेन सरकार. वहीं भानु प्रताप शाही ने कहा की राज्य में विधि व्यवस्था चौपट है हेमंत सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. विरंचि नारायण ने कहा की सरकार आदिवासियों के लिए असंवेनदशील है ऐसे में हेमंत सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए . सदन में जहां एक ओर विपक्ष सरकार के इस्तीफे पर अड़ी है वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है की लाश पर राजनीति न की जाए.
क्या है पूरा मामला
साहिबगंज में पहाड़िया जनजाति की महिला रुबिका की निर्मम हत्या ने पूरे मानवता को झकझोर कर रख दिया है. महिला के शव के 50 टुकड़े किये गए और उसे बोरे में बांध कर फेंक दिया गया. शव का सिर अभी भी लापता है. पुलिस को महिला के पति पर ही हत्या करने का शक है. पुलिस ने आरोपी पति दिलदार अंसारी को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ कर रही है. आरोपी पति और मृतिका दोनों अलग-अलग समुदाय से आती हैं. दोनों की शादी के महज सिर्फ 10 दिन ही हुए थे. ये भी बताया गया था कि आरोपी पति दिलदार पहले से शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है. मगर, फिर भी उसने मृतिका रुबिका को प्रेम जाल में फंसा कर उससे शादी की. महिला के घरवाले इस शादी के विरोध में थे. ऐसे में पूरे मामले को लव जिहाद के एंगल से भी देखा जा रहा है.
लव जिहाद का शक क्यों?
लव जिहाद का शक इसलिए उठ रहा है, क्योंकि आरोपी पति अल्पसंख्यक समुदाय से आता है और इसके पहले भी राजमहल क्षेत्र में लगातार ऐसे मामले उठते रहे हैं. वहां के विधायक भी लगातार इलाके में लव-जिहाद की बात कहते आए हैं. आरोप लगाया जाता रहा है कि दुमका और साहेबगंज के इलाकों में बांग्लादेशी और पीएफआई द्वारा जबरन आदिवासी लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया जा रहा है. दुमका में पहले भी आदिवासी लड़कियों के खिलाफ ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जहां मुस्लिम युवकों के द्वारा प्रेम जाल में फंसाने का ममाला सामने आता रहा है, जब कई लड़कियों ने उनके प्यार को ठुकराया तो उन्हें मारने के भी मामले सामने आए हैं. दुमका का चर्चित अंकिता हत्याकांड सभी को याद ही होगा, इसमें आरोपी शाहरुख ने अंकिता पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दिया था, क्योंकि अंकिता ने उसके प्यार को ठुकरा दिया था. इस मामले में भी ऐसे ही किसी साजिश होने की बात कही जा रही है.
भाजपा का आरोप बांग्लादेशी मुस्लिम और रोहिंग्यों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी
भाजपा नेताओं की बात मानें तो झारखंड का संथाल परगना (गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़ और साहिबगंज) में बांग्लादेशी मुस्लिम और रोहिंग्यों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. खासकर पाकुड़ और साहिबगंज जिले में बंग्लादेशी मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. आरोप है कि बांग्लादेशी मुस्लिम यहां की आदिवासी लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी करते हैं और उनकी जमीन और घर हड़प ले रहे हैं. इतना ही नहीं अगर शादी से पहले या बाद में लड़कियों को उनकी सच्चाई का पता चल जाता है तो वो उनकी हत्या तक कर देते है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 1994 में साहिबगंज जिले में 17 हजार से अधिक बांग्लादेशियों की पहचान हुई थी. इन बांग्लादेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे, मगर इन्हें वापस नहीं भेजा जा सका था.
लव जिहाद क्या सोची समझी साजिश
साहेबगंज में रुबिका के शव के 50 टुकड़े करने का मामला हो या दुमका अंकिता हत्याकांड, ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं. कहीं चार महीने प्रेग्नेंट नाबालिग लड़की को पेड़ पर फांसी से लटका कर मार दिया जाता है तो कहीं लड़की को जिंदा जला दिया जाता है और कहीं शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. दुमका पेट्रोल कांड के बाद बीजेपी के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि अंकिता की हत्या करने वाला शाहरुख और उसका दोस्त मो. नईम बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसार-उल-बांग्ला से प्रेरित था. नईम का मोबाइल रिकॉर्ड इस बात की गवाही देता है. मरांडी के मुताबिक अंसार-उल-बांग्ला भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का एक फ्रंट ग्रुप है, जिसका मकसद गैर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना और उनका धर्म परिवर्तन कराना है.
अनंत ओझा साल 2018 से उठा रहे ये मुद्दा
वहीं राजमहल से भाजपा विधायक अनंत ओझा ने इस मुद्दे को विधानसभा में लगातार उठाते आ रहे हैं. उन्होंने पिछले बजट सत्र के दौरान कार्यस्थगन सूचना के जरिए संथाल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला उठाया था. उन्होंने अपनी सूचना में कहा था कि साहिबगंज जिलों में पिछले कुछ वर्षों से बांग्लादेशी घुसपैठ से जनसंख्या संतुलन बिगड़ गया है. वो इस बात को हर बार अलग-अलग जगहों पर कहते हुए भी दिखाई देते हैं. साल 2018 में रघुवर दास सरकार ने पूरे राज्य में NRC लागू करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है.
फर्जी प्रमाण पत्र बना कर रह रहे बांग्लादेशी
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठिये फर्जी नाम और प्रमाण पत्र बना कर भारत के नागरिक बनकर रह रहे हैं. सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर रहे हैं, यहां तक कि सरकारी संसाधनों का फायदा ले रहे हैं. इस मुद्दे पर भी गृह विभाग को झारखंड से रिपोर्ट भेजी गयी थी. रिपोर्ट में जिक्र था कि बांग्लादेशी बिहार और बंगाल के रास्ते झारखंड आ रहे. इसमें अवैध प्रवासियों को चिन्हित करने के लिए टास्क फोर्स गठित करने की सिफारिश की गई थी. बात अगर आंकड़े की करे तो बंग्लादेश से सटे इलाको में मुस्लिम आबादी काफी बढ़ी है. पाकुड़ में 2001 में मुस्लिम आबादी 33.11 प्रतिशत थी जो 2011 में 35.87 प्रतिशत हो गई. उसके बाद का रिपोर्ट फिलहाल जारी नहीं किया गया है. मामला काफी गंभीर है ऐसे में इस दिशा में जांच परख जरूरी है देश के अखंडता के लिए इस तरह के घुसपैठ पर रोक लगाना जरूरी है.