रांची(RANCHI): राजधानी रांची अपराधियों लूटेरों का सेफ जोन बन गई. लूटेरे आराम से वारदात को अंजाम देते है, उसके बाद फरार हो जाते है. हर बार की तरह पुलिस मौका ए वारदात पर पहुंचती है तो अपराधियों की गिरफ़्तारी का दावा करती है. लेकिन बाद में इनाम की घोषणा कर आम लोगों से मदद मांगती है. कुछ ऐसा ही हाल वारदात के बाद रांची पुलिस का दिखा है. ऐसे में अब सवाल है कि आखिर पुलिस का तंत्र कहां है, खुफिया एजेंट कहां चले गए. आखिर कैसे पुलिस का कोई तंत्र काम नहीं कर रहा है, जबकि रांची पुलिस हाई टेक होने का दावा करती है.
दरअसल रांची में पिछले कुछ वारदात पर नजर डाले तो पुलिस बेबस और लाचार दिख रही है. चाहे छात्रा के साथ छेड़खानी का मामला हो या लूट का,दोनों मामले में पुलिस आम लोगों से मदद मांगती दिखी है. सबसे पहले बात रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र में हुई छेड़खानी मामले की कर लेते है. खुलेआम एक अधेड़ बच्चियों के साथ अश्लील हरकत करता है. CCTV फुटेज सामने आया. लेकिन पुलिस को आरोपी तक पहुंचने में पसीने छूट गए. आखिर में 10 हजार का इनाम रख दिया. इस बीच खबर आई की आरोपी ने खुद थाना पहुंच कर आत्मसमर्पण कर दिया. लेकिन पुलिस ने इस सरेंडर को गिरफ़्तारी दिखा कर खुद की पीट थप थपाई.
अब दिन दहाड़े पंडरा ओपी क्षेत्र में लूट की वारदात हुई. लूटेरे पहुंचे और 13 लाख रुपये लूट कर निकल गए. विरोध करने वाले एक शख्स को गोली मार दी. इस घटना का फुटेज भी सामने आया. लूटेरे का चेहरा साफ दिखा. लेकिन पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं मिली की लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद आखिर सभी भागे कहां. अब घटना को तीन दिन बीत गया. जिसके बाद आरोपी की तस्वीर जारी कर पहचान बताने वाले को 20 हजार रुपये इनाम की घोषणा की है.
अब इसपर सवाल यह है कि आखिर रांची पुलिस काम कैसे कर रही है. राजधानी की पुलिस तो हाई टेक होने का दावा करती है. टेक्निकल से लेकर अन्य संसाधनों से मजबूत बताई जाती है. लेकिन जब अपराधियों की गिरफ़्तारी की बात आती है तो इनका तंत्र फेल कैसे होता है. आखिर आम लोगों से सहयोग क्यों लेना पड़ता है. पुलिस का खुफिया तंत्र कहां है. शहर में CCTV कैमरे का भी दावा किया जाता है. तो उन कैमरों में अपराधी कैद क्यों नहीं होता. जिससे जानकारी मिले की अपराधी किस ओर भागे है.