साहिबगंज(SAHIBGANJ):आज झारखंड सरकार विकास के कई दावे करती है, लेकिन साहिबगंज के राजमहल प्रखंड का एक स्कूल ऐसा है, जहां बच्चों बोरा पर बैठकर पढ़ाई करते है.गंगा नदी से घिरा गदाई दियारा में संचालित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की स्थिति सरकार के शिक्षा-व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है. इस विद्यालय में बच्चों को पुआल (पूस) की झोपड़ी के नीचे भीगा हुआ जमीन पर बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है.इतना ही नहीं बल्कि संचालित विद्यालय में शौचालय,खाना बनाने के लिए रूम पानी के साथ साथ बेंच-डेस्क एवं भवन का भी अभाव बना है,लेकिन इन सब के बीच दिल को कचोड़ने वाली एक बात है कि विद्यालय में पढ़ाई करने के सभी छात्राएं अपने अपने घर से प्लास्टिक बोरा लेकर आते हैं और उसको बिछाकर उस पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं.
2003 में हुआ था स्कूल का निर्माण
दरअसल सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2003 में यहां विद्यालय की स्थापना हुई थी. 2006 में विद्यालय का भवन निर्माण किया गया था. 2010 में अत्यधिक बाढ़ में विद्यालय के सुंदरभवन गंगा नदी में समा गया,उक्त गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गदाई दियाराह में प्रत्येक वर्ष गंगा नदी पर बाढ़ आता है,जिसके वजह से पूरा गांव डूब जाता है,सिर्फ बाढ़ नहीं बल्कि इस इलाके में गंगा कटाव भी तेजी से हो रहा है.आगे ग्रामीणों ने कहा कि गदाई दियारा में पंचायत भवन के पास स्थानीय ग्रामीणों ने स्कूल के लिए जमीन दी है,लेकिन अब तक यहां स्कूल का भवन तैयार नहीं हो सका है.इस विद्यालय में 8 तक की कक्षा में कुल 68 छात्र-छात्राओं का नामांकन है,और कक्षा एक में 7, कक्षा 2 में 6, कक्षा 3 में 10, कक्षा 4 में 5 कक्षा 5 में 12, कक्षा 6 में 11, कक्षा 7 में 6 एवं कक्षा 8 में 11 बच्चे नामांकित हैं,जबकि यहां शिक्षकों की संख्या मात्रा 2 ही है.
पढ़ें मामले पर स्कूल के संचालन सचिव ने क्या कहा
वहीं जब संचालित विद्यालय के सचिव राजेन्द्र प्रसाद शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कई बार भवन के लिए जिले के पदाधिकारियों को आवेदन दिया गया है. इधर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रोबिन मंडल ने बताया कि इसकी जानकारी उन्हें अब तक नहीं है,अगर ऐसा है तो विद्यालय के सचिव से लिखित आवेदन लेकर विद्यालय भवन निर्माण के लिए डीईओ को भेजा जाएगा.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर