धनबाद(DHANBAD): झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन परिवार में टूट का क्या असर संथाल सहित झारखंड के चुनाव पर पड़ेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन झारखंड में 2024 का लोकसभा चुनाव सहानुभूति की सवारी कर लड़ने की हवा बनाई जा रही है. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सहानुभूति लहर पैदा करने की कोशिश कर रही है, तो भाजपा ने इसे काटते हुए शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को अपने पाले में कर सहानुभूति से ही जवाब देने की कोशिश अब जरूर करेगी.
कल्पना और सीता होंगी आमने सामने
सीता सोरेन ने शिबू सोरेन को एक मार्मिक पत्र लिखा है और बताया है कि क्यों उन्हें एवं उनके परिवार को दरकिनार किया गया और यह सिलसिला लगातार जारी है. यानी प्रचार के जरिए भाजपा कोशिश करेगी की लड़ाई गोतनी बनाम गोतनी हो जाए. जहां-जहां कल्पना सोरेन सभा करें ,वहां सीता सोरेन को भाजपा स्टार प्रचारक के रूप में इस्तेमाल करें. वैसे भाजपा ने सीता सोरेन को अपने पाले में लाकर सियासी तापमान बढ़ा दिया है. शिबू सोरेन के घर में ही सेंधमारी कर झामुमो को चुनावी मैदान में परेशानी में तो डाल ही दिया है. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा स्टार प्रचारक के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है. 17 मार्च को राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन में पहुंची थी . वहां न केवल झारखंड की बात की , बल्कि राष्ट्रीय स्तर के कई मुद्दों को भी उठाया .कहां जा सकता है कि झारखंड का लोकसभा चुनाव इस बार कोई साधारण चुनाव नहीं रह जाएगा.
भाजपा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को दिया झटका
हेमंत सोरेन के जेल में रहने का फायदा उठाने की भाजपा पूरी कोशिश करेगी तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी हर कदम सोच समझ कर उठा रहा है. सीता सोरेन को सिर्फ चुनाव प्रचार में ही उपयोग किया जाएगा या उन्हें कहीं से चुनाव लड़ाया जाएगा, इस पर अभी चर्चा का बाजार गर्म है. लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक झटका तो दे ही दिया है .झारखंड के भाजपा के तमाम नेता एक स्वर में बोल रहे हैं .सीता सोरेन के भाजपा में आने का स्वागत कर रहे हैं. सीता सोरेन को शामिल करा कर भाजपा ने जो दाव खेला है, उसका काट झारखंड मुक्ति मोर्चा कैसे करता है, यह अभी देखने वाली बात होगी.
हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा भी आक्रामक मूड में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. यह बात अलग है कि हेमलाल मुर्मू सरीखे लोग भी झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर गए थे और फिर वापस आ गए. लेकिन इस बार शिबू सोरेन के परिवार में ही सेंधमारी हुई है. अब देखना है कि इसका परिणाम किस करवट बैठता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो