धनबाद(DHANBAD): पश्चिम बंगाल का बहरामपुर लोकसभा सीट कोई साधारण सीट नहीं है. 2024 में यहां चुनाव भी बहुत साधारण नहीं होगा.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच के मनमुटाव का पुट भी यहां देखने को मिल सकता है. मुर्शिदाबाद जिले में पड़ने वाला यह बहरामपुर सीट अपने आंचल में कई इतिहास समेटे बैठा है. राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र ने अपना महाकाव्य उपन्यास आनंद मठ की रचना बहरामपुर में भागीरथी नदी के किनारे की थी. यह जगह ऐतिहासिक भी है. लेकिन फिलहाल अधीर रंजन चौधरी और ममता बनर्जी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाता दिख रहा है.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों से ममता बनर्जी खासी नाराज चल रही है. इंडिया ब्लॉक से अलग होने का एक प्रमुख कारण अधीर रंजन चौधरी भी बताए जाते हैं. अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर लोकसभा सीट से लगातार पांचवीं बार सांसद हैं. इस बार तृणमूल कांग्रेस ने यहां से पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उम्मीदवार बनाया है. लोग मानते हैं कि बहरामपुर सीट पर कांटे की लड़ाई होगी .ममता बनर्जी भी अपनी पूरी ताकत झोंकेगी. इस सीट को जीतने के लिए तो पांच बार के सांसद रहे अधीर रंजन चौधरी भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. ऐसा अनुमान किया जा रहा है. बहरामपुर सीट पहले वामपंथी पार्टी रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था. बाद में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया. लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी 1999 से यहां सांसद हैं. लेकिन इस बार ममता बनर्जी यह सीट अपने पाले में करने के लिए जोर लगाए हुए हैं. यह इलाका बीड़ी उद्योग के लिए मशहूर है. बहरामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीट आते हैं. फिलहाल छह पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है, जबकि एक सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार विजय रहा है.
2019 में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को 5 , 91,006 वोट मिले थे जबकि तृणमूल कांग्रेस के अपूर्व सरकार को 5 , 10,410 वोट प्राप्त हुए थे. आंकड़ों के मुताबिक कुल 79.41 प्रतिशत मतदान हुआ था. लेकिन इस बार परिस्थितियों कुछ अलग दिख रही है. अधीर रंजन चौधरी के लिए अपनी सीट को बचाना चुनौती होगी, तो ममता बनर्जी भी हर हाल में सीट जीतने की कोशिश करेगी. वैसे इस बार बंगाल का चुनाव दिलचस्प होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. तृणमूल कांग्रेस ने कुल 42 लोकसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है. ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि वह इंडिया ब्लॉक से अलग होकर अकेले चुनाव लडेगी. वैसे इंडिया ब्लॉक के लोग अभी भी भरोसे में हैं कि कोई ना कोई रास्ता निकल जाएगा ,लेकिन अब इसकी संभावना नगण्य में दिख रही है. वैसे बंगाल के चुनाव में कोयलांचल की भी जिज्ञासा होती है .धनबाद से बंगाल बिल्कुल सटा हुआ है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो