लोहरदगा (LOHARDAGA) : जिले में स्ट्रॉबेरी और उन्नत किस्म के पपीते की खेती से किसानों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा. जिले में 2019 में शुरू स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी काफी बदलाव आया है. भारत सरकार और राज्य सरकार के तरफ से किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में चयनित किसानों से उन्नत किस्म की खेती कराई जा रही है. इसी से जुड़कर किसान आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. वही इनमें से एक किसान जिले के कुड़ू प्रखंड क्षेत्र के पंडरा के रहने वाली एमलीन कंडुलना है. एमलीन कंडुलना झारखंड से एक मात्र लोहरदगा की किसान है जिन्हें स्ट्रॉबेरी और उन्नत किस्म के पपीते की खेती के लिए 2021 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.
क्या सुविधाएं दे रही सरकार
लोहरगदा में स्ट्रॉबेरी और पपीता की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. उद्यान विकास योजना के अंतर्गत किसानों की आय को बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने की ओर से जिले में कार्य किए जा रहे है. जहां किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ 50 प्रतिशत की अनुदान भी दी जाती है. उद्यान विभाग की ओर खासकर उन्नत कृषि स्ट्रॉबेरी और पपीते की खेती कराई जा रही है. ठंड के मौसम स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उत्तम होता है. ऐसे में किसान अक्टूबर से लेकर फरवरी तक जिले में स्ट्रॉबेरी का खेती करते हैं. जिले में विभाग से जुड़कर 200 से ज्यादा किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.
कृषि के तकनीकों की सीख देकर दूसरों को प्रशिक्षित कर रही एमलीन
एमलीन कंडुलना कृषि विज्ञान केंद्र और उद्यान विकास योजना से जुड़कर प्रशिक्षण लेकर कृषि से जुड़कर आत्मनिर्भर बनकर उन्नत किस्म की खेती कर रही है और कृषि के क्षेत्र में एक उद्यमी और समाज के लिए एक मिशाल के रूप में उभर रही है. एमलीन कंडुलना को उन्नत किस्म के पपीते और स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए वर्ष 2021 में झारखंड की एकमात्र किसान जिन्हें दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा सर्वश्रेठ कृषि उद्यमी का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया. इससे पहले भी वर्ष 2021 में नर्सरी के लिए आईसीएआर पटना के तरफ से पुरुस्कार दिया गया था. एमलीन कंडुलना अपने खेतों में कई प्रकार की खेती करती हैं. जिसमें ऑर्गेनिक और उन्नत किस्म की खेती पपीता, स्ट्रॉबेरी, टमाटर, आलू शामिल है. इनसे इनका आय सालों भर होते रहती है और सालाना आराम से 5-6 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं. एमलीन कंडुलना खुद तो आत्मनिर्भर कृषि उद्यमी है ही ये दूसरे किसानों को भी अपने द्वारा सीखें कृषि तकनीकों के गुण को सिखाकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है. इसी कारण लोग एमलीन कंडुलना को पूरे क्षेत्र में बागे दीदी के नाम से जानते हैं.
खुद के बल पर किया प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का निर्माण
बागे दीदी सुबह से अपने खेतों में कृषि के कार्य में लग जाती हैं और शाम तक कार्य करते रहती हैं. वे अपना उत्पादन बेचने के लिए उन्होंने खुद एक कंपनी सेनेम निरेम फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का निर्माण भी किया है. जिसके माध्यम से वह खेतों में उत्पादन हुई चीजें को बेचती हैं. नए किसान बागे दीदी के खेत में आकर उनसे कृषि के गुर सीखते हैं और खुद कृषि करते हैं. बागे दीदी (एमलीन कंडुलना) कहती है कृषि से जुड़कर उन्हें समाज में एक नाम मिला है और वे अधिक से अधिक किसानों को उन्नत कृषि से जोड़ना चाहती है. जिसके लिए वे किसानों को कृषि के गुर सिखाने में जुट गई है. बागे दीदी के खेत में हर मौसम अलग अलग खेती की जाती हैं और सारा कुछ ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है. कृषि के क्षेत्र में पुरुस्कार मिलने से कृषि की ओर किसानों का झुकाव हुआ है और लोग अपने खेतों में उन्नत किस्म की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे है और बाजारों में भी बिना कैमिकल खाद्य का फल, सब्जी उपलब्ध हो रही है.
अन्य महिलाओं को कर रही प्रोत्साहित
वहीं बागे दीदी से कृषि के गुर सीखने आए नए किसान जूनिका खलखो में भी उमंग और उत्साह है सिख कर आगे बागे दीदी की तरह उन्नत किस्म की कृषि करने की वे कहती हैं. जिस तरह बागे दीदी कृषि कर रही है. उनसे सीख कर उसी प्रकार से कृषि करेंगे बागे दीदी ड्रिप सिंचाई, बीज, ऑर्गेनिक उत्पादन जैसे कई महत्वपूर्ण कृषि के लिए उपयोगी जानकारी देती है आगे हमलोग भी बढ़िया करेंगे. जिले में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उद्यान विभाग पूरी तरह से जुट गई है उन्नत किस्म की खेती के लिए जिले में चयनित किसानों को प्रशिक्षण के साथ साथ विभाग की ओर से 50 प्रतिशत की अनुदान दी जाती है.
किसानों की मदद करने में जुटा है विभाग
उद्यान विभाग के प्रह्लाद कुमार बताते हैं कि विभाग पुरजोर तरीके से किसानों के आय को दुगुनी करने में जुटी हुई हैं. जिले में अब स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है जो बड़ी बात है. विभाग यहां फरवरी महीना तक इस खेती को करते हैं. जिसकी बाजार में अच्छी मांग है और बागे दीदी शुरू से ही मेहनती रही है. जिस कारण उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है वे अपने साथ-साथ कई महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर कृषि के क्षेत्र में जोड़ रही हैं जो अच्छी पहल है.
रिपोर्ट : गौतम लेनिन, लोहरदगा