रांची(RANCHI)- झारखंड की हेमंत सरकार के द्वारा बनाई गई शराब नीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इस कारण से राज्य सरकार को लगभग 500 करोड रुपए का नुकसान हुआ है. सरकार इस मामले में फिलहाल चुप है. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि झारखंड में जो शराब नीति बनी थी इसमें बड़ा खेल हुआ है. इसकी जांच अगर ठीक तरीके से हुई तो फिर कई बड़े अधिकारी के नाम आ सकते हैं.
शराब की बोतल के पीछे किनके चेहरे हैं: बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे आरंभ से झारखंड सरकार की शराब नीति पर सवाल खड़ा करते रहे हैं. उन्होंने पहले भी सरकार को चेताया था कि इस मामले की सही तरीके से जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि शराब की बोतल के पीछे किनके चेहरे हैं. शराब नीति के तहत जिन कंपनियों को झारखंड में शराब बेचने का ठेका मिला उन लोगों ने सरकार के साथ ऐसे एग्रीमेंट किए जिससे यह नुकसान का कारोबार हो गया. दिखावे के लिए सरकार ने कानूनी प्रक्रिया अपनाई जबकि इसके पीछे मंशा यह थी कि शराब बेचने वाली कंपनियों को परोक्ष रूप से लाभ मिले.
हेमंत करे जांच
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में शराब घोटाला दिल्ली की केजरीवाल सरकार के शराब घोटाले से बड़ा है. उन्होंने कहा कि सारे डाक्यूमेंट्स जिंदा हैं. कागज कभी नहीं मरता. इसलिए आज ना कल अगर हेमंत सरकार इसकी जांच नहीं करती है तो फिर केंद्रीय एजेंसियां इस मामले को देखेगी. इधर गुड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन की जमीन घोटाले में गिरफ्तारी के बाद ट्वीट करते हुए कहा है कि आगे अब कौन. उनका संकेत है कि जल्द ही कुछ अन्य अधिकारी ऐसे ही मामले में गिरफ्तार हो सकते हैं.