धनबाद(DHANBAD): क्या बीजेपी शासित प्रदेशों में पावर के कई केंद्र होने की वजह से पार्टी को नुकसान हुआ है? क्या अब बीजेपी डिप्टी सीएम कांसेप्ट को खत्म करेगी? क्या सरकार और संगठन के बीच के अलावा अन्य कई पावर सेंटर डेवलप कर गए है, जिसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ा है. इन सारी बातों पर मंथन चल रहा है.भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार एनडीए की जहां प्रदेश में सरकार है, वहां तो डिप्टी सीएम का कॉन्सेप्ट रह सकता है, लेकिन बीजेपी बहुमत राज्यों में डिप्टी सी एम कॉन्सेप्ट खत्म करने की लगभग तैयारी कर ली गई है. प्रदेश में दो ही पावर सेंटर रहेंगे. सरकार और संगठन. ऐसा माना जा रहा है कि डिप्टी सीएम के चलते सत्ता के एक से ज्यादा केंद्र बन गए, जिसका नुकसान हुआ.
कार्यकर्ताओं की वफादारी संगठन से ज्यादा व्यक्तिगत हो गई है
हालांकि जिन राज्यों में एनडीए की सरकार है, वहां डिप्टी सीएम पद की व्यवस्था जारी रखने की वकालत की गई है. यह भी बात सामने आई है कि राज्यों में पार्टी में कई पावर सेंटर होने से संगठन की एक जुटता प्रभावित हुई है. पहले सरकार और संगठन दो पावर सेंटर होते थे.इससे दोनों के बीच मतभेदों के बावजूद लक्ष्य को साधना मुश्किल नहीं था. डिप्टी सीएम के चलते चार या पांच पावर केंद्र बन गए हैं. सीएम डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष के समर्थकों का अलग-अलग गुट तैयार हो गया है. ऐसे में कार्यकर्ताओं की वफादारी संगठन से ज्यादा व्यक्तिगत हो गई है. हालांकि कहा जा रहा है कि समय और संगठन की जरूरत के हिसाब से डिप्टी सीएम का प्रयोग किया गया था. इसके फायदे भी हुए, लेकिन अब इसमें बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है.
डिप्टी सीएम का पद भले ही सांकेतिक हो पर इसका राजनीतिक मैसेज बहुत बड़ा है
धनबाद के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का कहना है कि डिप्टी सीएम का पद भले ही सांकेतिक हो पर इसका राजनीतिक मैसेज बहुत बड़ा है .यह व्यवस्था उन राज्यों के लिए तो ठीक है जहां एनडीए की सरकार है, क्योंकि दोनों दलों के समर्थकों के बीच सत्ता में बराबरी का संदेश जाना जरूरी है.पूर्ण बहुमत वाले राज्यों में यह व्यवस्था कारगर नहीं साबित हो रही है. एनडीए या बीजेपी शासित नौ राज्य हैं ,जहां एक या दो डिप्टी सीएम है. बीजेपी ने राज्यों की सोशल इंजीनियरिंग के लिए डिप्टी सीएम बनाने की शुरुआत की थी. पार्टी ने दो डिप्टी सीएम बनाने का प्रयोग 2017 में यूपी से शुरू किया था .इसके बाद अन्य राज्यों में इसे दोहराया गया. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी स्पष्ट निर्देश के साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बना चुकी है.अगर झारखंड की बात की जाए तो इस बार बीजेपी की ओर से तीन प्रभारी पार्टी की कमान संभालेंगे. इसके अलावा भी प्रदेश अध्यक्ष और संगठन रहेगा. जानकारी निकल कर आ रही है कि झारखंड बीजेपी ने तीनों प्रभारी के काम बांट दिया है. पहले से नियुक्त प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई पार्टी में संगठन से जुड़े कार्यों को देखेंगे.वहीं विधानसभा चुनाव के लिए नवनियुक्त प्रभारी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्व सरमा राजनीति से जुड़े मुद्दे को देखेंगे. शिवराज सिंह चौहान तो रांची पहुंच गए हैं. हेमंता भी आज पहुंचेंगे. बैठक होगी और पार्टी की रणनीति तय होगी.
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों का ब्लू प्रिंट तैयार किया जायेगा
जानकारी मिल रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आज रणनीति तैयार की जाएगी. साथ ही चुनाव को लेकर अगले 5 महीने का ब्लूप्रिंट तैयार कर उसे जमीनी स्तर पर उतारने पर मंथन किया जा सकता है. बूथों को और सशक्त बनाने की रणनीति पर भी विचार किया जा सकता है. इस बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों का परिचय भी शिवराज सिंह चौहान और हेमंता विश्व शरमा प्राप्त करेंगे. बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र त्रिपाठी, संगठन महामंत्री कर्मवीर समेत प्रदेश के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. चुनाव को लेकर बीजेपी की इसे अहम बैठक कहीं जा रही है. फिलहाल झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है .लेकिन इस बार बीजेपी फिर से सरकार पर कब्ज के लिए अभी से ही प्रयास शुरू कर दिया है.जबकि गठबंधन के नेता भी चाहेंगे कि झारखंड में फिर से उनकी सरकार बने. झारखंड में सरकार बनाने के लिए 28 आदिवासी सीटें महत्वपूर्ण है. इन सीटों पर जिनका परचम लहराएगा, उन्हें सरकार बनाने में सहूलियत हो सकती है. अब देखना है आगे आगे होता है क्या.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो