धनबाद(DHANBAD) | छात्रों की "काबिलियत" की जांच शिक्षक तो करते ही है, लेकिन अगर शिक्षकों की "काबिलियत" की जांच विद्यार्थी करने लगे , तो इसे आप क्या कहेंगे. जी हां ! धनबाद के आईआईटी आईएसएम यही हो रहा है. छात्र अपने टीचर के नॉलेज, उनकी दक्षता, पढ़ाने के ढंग- पैटर्न की परीक्षा लेकर अंक दे रहे है. छात्रों द्वारा दिए गए नंबर के आधार पर ही टीचरों की रैंकिंग हो रही है. 2022- 2023 सत्र के इंजीनियरिंग के बच्चों ने पढ़ाई पूरी कर संस्थान को अलविदा कह दिया है. संस्थान छोड़ने के पहले फाइनल ईयर के बच्चों ने शिक्षकों समेत अन्य सुविधाओं के बारे में ऑनलाइन फीडबैक दिया है. आईआईटी आईएसएम प्रबंधन ने फीडबैक के आधार पर शिक्षकों की रेटिंग की है.
सात या कम पाने वालो को थमाया जा रहा पत्र
10 में से 9 अंक से अधिक पाने वाले शिक्षकों को एक्सीलेंट का मार्क्स मिला है, वही 8.5 से 9 पॉइंट पाने वाले शिक्षकों को गुड और वेरी गुड कैटेगरी में रखा गया है. 7 या उससे कम पाने वाले शिक्षकों को पत्र जारी कर पढ़ाई के तरीके में सुधार करने को कहा गया है. ऐसे चिन्हित शिक्षकों के लिए प्रबंधन ने एडवाइजरी जारी की है और उन्हें सुधार लाने को कहा है. सबसे महत्वपूर्ण और विशेष बात यह है कि शिक्षकों को बच्चों के नाम नहीं बताये जा रहे है. उनके नाम को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है. संस्थान छोड़ने के पहले 15 मई तक छात्रों को फीडबैक देने को कहा गया था.
एक नई परंपरा की शुरुआत की हो रही पहल
प्रबंधन का कहना है कि छात्रों के फीडबैक के आधार पर एक नई परंपरा की शुरुआत की गई है. इसका मकसद संस्थान को टॉप टेन में पहुंचाना है. पब्लिकेशन, पेटेंट समेत अन्य बिंदुओं पर फोकस किया गया है. हाल के दिनों में संस्थान का पेटेंट भी बढ़ गया है. छात्र- शिक्षक अनुपात में थोड़ी कमी है, उसे भी ठीक करने के लिए प्रबंधन सक्रिय हो गया है. धनबाद में भारतीय खनिज विद्यापीठ अपने आप में अकेला एक समय का संस्थान था. लेकिन हाल के दिनों में इसे आईआईटी का टैग मिला. आईआईटी का टैग मिलने के बाद संस्थान का दायरा थोड़ा बढ़ गया है. लोगों की नजरें भी इस संस्थान पर टिकी हुई है. आईआईटी का टैग मिलने के बाद भवन निर्माण के काम में काफी गति आई है और अब संस्थान परिसर भी देखने लायक दिखता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो