दुमका(DUMKA): संथाल परगना प्रमंडल में ब्रिटिश कालीन एसपीटी एक्ट लागू है. जानकारों का मानना है कि इस एक्ट के तहत तालाब के नेचर को बदला नहीं जा सकता. लेकिन इन दिनों दुमका के तालाब को भूमाफिया की नजर लग गयी है. तालाब को भर कर उसे बेच दिया जाता है. यह काम बड़े चालाकी से किया जाता है. तालाब के किनारे पहले शहर का कुछ ट्रेक्टर कचरा डंप कराया जाता है. अगर उसका विरोध किसी ने नहीं किया तो माफिया यही तरीका अपना कर तालाब के चारों तरफ कचरा डंप कर उसे भर कर बेच देता है. शहर के कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है.
दुखु पोखर पर अब भूमाफिया की नजर
भूमाफिया की नजर अब दुखु पोखर पर पड़ी है. शहर के रसिकपुर स्थित सालों पुराने दुखु पोखर को भी कब्जा करने की कवायद शुरू हो गई है. लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए काम बंद करा दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि पोखरा पर दावा करने वाले अब इसे समाप्त करने पर लगे हैं. पानी सुखाने के लिए कचरा भरा जा रहा है. पिलर काट दिया गया है ताकि पानी धीरे धीरे निकल जाए. लंबे समय से इस तालाब पर सभी लोग कर्मकांड कराते आ रहे हैं. माफिया चाहते हैं कि तालाब का अस्तित्व समाप्त कर इसे बेच दिया जाए. उनका कहना है कि पोखर का मालिक कहता है कि यह उनका निजी तालाब है. नियम है कि पोखरा का स्वरूप बदला नहीं जा सकता है.
पोखरा को न तो बेचा जा सकता है और न ही स्वरूप बदला जा सकता
राजेश शर्मा का कहना है कि बाप दादा के जमाने के तालाब को भरने का काम किया जा रहा है. इसका घेराव करने के लिए पिलर बनाया जा रहा है. इसकी सफाई जरूरी है. पोखरा को न तो बेचा जा सकता है और न ही इसका स्वरूप बदला जा सकता है. सालों से लोग यहां पर पूजा करते आ रहे हैं. पिता के जमाने से पोखरा का उपयोग होता आ रहा है. अगर पोखरा पर फिर से काम शुरू होता है तो मुहल्ले के लोग इसका खुलकर विरोध करने के लिए बाध्य होंगे.
इस बाबत पूछे जाने पर एसडीओ कौशल कुमार ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. इस बाबत सीओ का पूरे मामले की जांच का निर्देश दिया जाएगा. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हर हाल में शहर के तालाब को सुरक्षित एवं संरक्षित रखा जाएगा.
रिपोर्ट: पंचम झा