धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल की भूमिगत आग '2024 के विधानसभा चुनाव को येन-केन प्रकारेण प्रभावित करेगी. कम से कम बाघमारा, झरिया और सिंदरी पर तो सीधा असर डालेगी. जबकि निरसा और धनबाद भी प्रभावित हो सकता है. धनबाद के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच कोयला बहुल क्षेत्र है. टुंडी इलाके में कोयले की बहुलता नहीं है. भूमिगत आग की वजह से विस्थापन को लेकर बाघमारा और झरिया सबसे अधिक प्रभावित होंगे. झरिया से बाघमारा से भी अधिक लोग शिफ्ट किए जाएंगे. झरिया पुनर्वास योजना में बेलगड़िया के अलावे नए आवास बनाने की अभी कोई योजना नहीं है.
सिंदरी में बढ़ जाएगी वोटरों की संख्या
ऐसे में विस्थापितों को बेलगड़िया में ही शिफ्ट किया जाएगा. बेलगड़िया में विस्थापितों के जाने से सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या अचानक बढ़ जाएगी, जबकि झरिया और बाघमारा में घट जाएगी. हो सकता है कि विस्थापित होने वालों में बहुत सारे लोग झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के सपोर्टर हो. यह भी हो सकता है कि बाघमारा से हटने वाले बहुत लोग विधायक ढुल्लू महतो के सपोर्टर हो. ऐसे में कम से कम दोनों विधायकों को चुनाव जीतने के लिए कड़ी मिहनत करनी पड़ेगी. इसके साथ ही साथ सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में वोटर बढ़ने से नए लोगों को अपने पक्ष में करना सिंदरी के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो के समक्ष भी बड़ी चुनौती होगी. पुनर्वास होने के बाद झरिया और बाघमारा से लोगों की संख्या घटेगी और सिंदरी में बढ़ेगी.
प्रभाव तो धनबाद और निरसा पर भी दिखेगा
प्रभाव तो धनबाद पर भी पड़ेगा. प्रभाव निरसा पर भी दिखेगा. इधर, झरिया पुनर्वास की बात करें तो संशोधित मास्टर प्लान को अगले महीने कैबिनेट से हरी झंडी मिल सकती है. इसके साथ ही पुनर्वास का काम तेज हो जाएगा. एक लाख से अधिक परिवारों को अग्नि प्रभावित इलाकों से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट करना है. एक लाख की संख्या कम नहीं होती है. यह एक लाख लोग झरिया और बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के चुनाव पर तो प्रभाव डालेंगे ही, साथ ही सिंदरी के उम्मीदवारों को कड़ी मिहनत भी करने को मजबूर करेंगे. यह बात अलग है कि झरिया और बाघमारा से हटने वाले लोग किस पार्टी के समर्थक हैं या किनको चाहेंगे, यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे, लेकिन 2024 की तैयारी राजनीतिक दलों ने शुरू कर दी है. वैसे धनबाद के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से चार अभी भाजपा के पास है. टुंडी झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है तो बहुचर्चित झरिया अभी कांग्रेस के खाते में है. इस विस्थापन का सियासत पर भी सीधा असर पड़ेगा, ऐसा कोयलांचल के राजनीतिक पंडित भी मानते है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या.
रिपोर्ट: शाम्भवी के साथ संतोष