धनबाद(DHANBAD): धनबाद कोयलांचल में बेलगाम अपराध पर धरना- प्रदर्शन केवल पीड़ित समुदाय ही कर रहा है. धनबाद जिला कांग्रेस तो "पेपर टाइगर" की भांति पुलिस प्रशासन को निशाने पर ले रखा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. वहीं, भाजपा के लोग अभी महा जनसंपर्क अभियान में लगे हुए है. एक महीने तक चलने वाले इस महा जनसंपर्क अभियान के लिए भाजपा नेताओं की जगह- जगह बैठक हो रही है. लेकिन धनबाद के लोग अभी किन- किन परेशानियों से जूझ रहे हैं, इसको लेकर कोई भी राजनीतिक दल धरना -प्रदर्शन नहीं किया है. दवाब बनाने का कोई दूसरा तरीका भी नहीं अपनाया गया है. धनबाद में बिजली संकट से त्राहि-त्राहि है. बूंद- बूंद पानी के लिए जनता तरस रही है. व्यवसायियों को लगातार धमकियां दी जा रही है. रंगदारी के लिए फायरिंग कराई जा रही है.
कब किसे धमकी मिल जाये ,कहा नहीं जा सकता
धनबाद की जनता डरी और सहमी है, कब किसके पास रंगदारी के लिए फोन आ जाए, कब किस पर हमला बोल दिया जाए, यह कोई नहीं जानता. पुलिस प्रशासन लोगों के निशाने पर है. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद की सरकार चल रही है. ऐसे में धनबाद की जनता की समस्याओं को लेकर मुखर होना सबसे अधिक जिम्मेवारी भाजपा की ही बनती है. भाजपा पर यहां के लोग भी पहले से ही भरोसा करते आए है. इस बार भी 2019 के चुनाव में भरोसा किया. धनबाद के सांसद भाजपा से हैं और भाजपा के पास अभी धनबाद, बाघमारा, निरसा और सिंदरी विधानसभा सीटें है. लेकिन भाजपा के लोग अभी महा जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए है. इस अभियान में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाया जाएगा, लोगों को बताया जाएगा कि राज्य सरकार जनता के हित में काम नहीं कर रही है. लेकिन यह तो महा जनसंपर्क अभियान का हिस्सा होगा. धनबाद की जनता के लिए अलग से भाजपा के पास कोई कार्य योजना नहीं है.
सड़क पर आंदोलन अब इतिहास की बातें होने लगी है.
यह बात भी सच है कि जनता की समस्याओं को लेकर सड़क पर आंदोलन अब इतिहास की बातें होने लगी है. राजनीतिक लोग अब जनता की समस्याओं के लिए पुलिस की लाठी खाने से परहेज करते है. कम से कम कोयलांचल में तो यही कहा जा सकता है. लेकिन नेतागिरी करने में कोई पीछे नहीं रहता. धनबाद में जो समस्याएं अभी विकराल रूप लेकर बैठी हुई है, ऐसे में क्या अगर सरकार में शामिल दलों की बात छोड़ भी दी जाए तो भाजपा के एक सांसद और चार विधायक अगर रांची में सरकार पर दबाव बनाए, तो क्या यहां की समस्याएं दूर नहीं होंगी. लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है. इस बार भी नहीं होगा. व्यवसाई वर्ग तो अपने ऊपर हो रहे हमले से आक्रोश में है. सभी राजनीतिक दलों के प्रति उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है. कारोबारियों को रंगदारों से सुरक्षा चाहिए लेकिन यह सुरक्षा मिल नहीं रही है. धनबाद की पुलिस भी परेशान है. एक गैंग को पकड़ती है तो दूसरा गैंग मैदान में खड़ा हो जाता है. अमन सिंह गिरोह और प्रिंस खान के लोग धनबाद में उत्पात मचा रखा है. धनबाद में रंगदारी ही एक बड़ी वजह है कि यहां के कारोबारी दूसरे प्रदेशों में शिफ्ट करते जा रहे है. जिनको धनबाद की "माटी" से लगाव है ,वही यहां बचे है. उन्हें भी तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो