रांची(RANCHI)- कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल जो सत्ता के साझीदार रहे हैं. वे अब प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में हैं. उनकी गिरफ्तारी संभावित थी. पूर्व में भी वे ईडी के हत्थे चढ़ चुके हैं. खनिज तस्करी के मामले में एक पीआईएल को मैनेज करने के केस में अमित अग्रवाल ने रांची हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार को 50 लाख रुपए की बड़ी धनराशि देकर मैनेज कराने का प्रयास किया था और पुलिस को इसके बारे में सूचना देकर गिरफ्तार भी करा दिया था. यह मामला कोलकाता का था. इसी मामले में ईडी ने जब अपना अनुसंधान शुरू किया तो फिर राजीव कुमार तो पहले से जेल में थे. उसके बाद अमित अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया था. बाद में अमित अग्रवाल को बेल मिली थी.
इधर सेना की जमीन मामले में अमित अग्रवाल का नाम परोक्ष रूप से आ ही रहा था. गिरोह की तर्ज पर यह सेना की जमीन की खरीद बिक्री हुई. उसमें अमित अग्रवाल की बड़ी भूमिका रही थी. आज जो रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन जेल में है. इसी सेना की जमीन की फर्जी दस्तावेज के आधार पर खरीद बिक्री के मामले में वे ईडी की गिरफ्त में है. सूत्र बताते हैं कि अमित अग्रवाल ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई थी और छवि रंजन के माध्यम से सत्ता के ऊपरी स्तर पर बैठे राजनेताओं के इशारे पर सारा कुछ कराया था. इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि पूरे मामले में अमित अग्रवाल ही पावर बैंक के रूप में काम कर रहे थे. वैसे जिस कंपनी ने जमीन खरीदी उसमें अमित अग्रवाल भी साझेदार बताई जाते हैं.
यह दूसरा मामला है जिसमें अमित अग्रवाल पकड़े गए हैं. इस मामले में ईडी के पास पुख्ता प्रमाण हैं. इधर बुधवार को ईडी ने अमित अग्रवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था. सेना की जमीन की फर्जी खरीद बिक्री मामले में उनसे पूछताछ की जानी थी. पूछताछ के बाद बुधवार की देर रात अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया.सोमवार को उनका मेडिकल हुआ और फिर ईडी कोर्ट में पेश किया गया. इधर जगबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष को भी इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया है.