चाईबासा (CHAIBASA): कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगाधर पांडा और प्रतिकुलपति डॉ कामिनी कुमार दोनों ही अधिकारियों का कार्यकाल आगामी 27 मई को समाप्त हो रहा है. उसके बाद विश्वविद्यालय की कमान कौन संभालेगा, यह सवाल अब उठने लगा है. वैसे तो राज्य में पांच विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का कार्यकाल एक साथ समाप्त हो रहा है. बावजूद अभी तक राजभवन की ओर से इसके लिए विज्ञापन का प्रकाशन नहीं किया गया है. इसलिए यह भी तय माना जा रहा है कि कार्यकाल समाप्त होने तक नये कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पायेगी. ऐसे में राज्यपाल सह कुलाधिपति क्या निर्णय लेते हैं, यह समय ही बतायेगा.
कौन-कौन है विकल्प
जानकार बताते हैं कि चूंकि प्रतिकुलपति का भी कार्यकाल साथ में ही समाप्त हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में तीन विकल्प शेष रह जाते हैं, अन्यथा प्रतिकुलपति को भी प्रभार दिया जा सकता था. लेकिन अब जो तीन विकल्प हैं, इनमें से किसी एक विकल्प पर राजभवन निर्णय ले सकता है. तीनों विकल्पों की बात करें, तो राजभवन मौजूदा कुलपति को अवधि विस्तार (एक्सटेंशन) दे सकता है. दूसरा विकल्प है कि नये कुलपति की नियुक्ति होने तक प्रमंडलीय आयुक्त को प्रभार सौंपा जा सकता है या फिर विश्वविद्यालय में जो वरिष्ठतम प्रोफेसर रैंक के शिक्षक या शिक्षिका हैं, उन्हें प्रभार सौंपा जा सकता है.
पहले भी मिल चुका है आयुक्त को प्रभार
इससे पूर्व कुलपति डॉ सलिल राय (अब स्वर्गीय) का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजभवन की ओर से तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त को विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार सौंपा गया था. तब कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त आलोक गोयल थे. कुछ समय तक उन्होंने विश्वविद्यालय को संभाला, उसके बाद डॉ आरपीपी सिंह (अब स्वर्गीय) कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किये गये थे.
विश्वविद्यालय में एक मात्र प्रोफेसर
पूरे कोलहान विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रैंक की एकमात्र शिक्षिका डॉ मुदिता चंद्रा हैं. हाल ही में राजभवन के आदेश पर कोल्हान विश्वविद्यालय पीजी डिपार्टमेंट में योगदान किया है. इससे पूर्व वह जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग में थीं. चूंकि वह जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी बनने से पूर्व जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में थीं और उन्हें कमीशन प्रिंसिपल बनाया गया था. तब लीयन लीव लेकर वह एबीएम कॉलेज में प्रिंसिपल थीं. वहां कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात उन्होंने पुनः जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में योगदान किया था. जानकार बताते हैं कि यदि मौजूदा कुलपति को अवधि विस्तार अथवा प्रमंडलीय आयुक्त को प्रभार नहीं सौंपा जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में डॉ मुदिता चंद्रा को विश्वविद्यालय की कुलपति का प्रभार सौंपा जा सकता है.
रिपोर्ट. संतोष वर्मा