धनबाद(DHANBAD) | झारखंड में भाजपा के 12 सांसद हैं और बाबूलाल मरांडी को अगर मिला दिया जाए तो 26 विधायक है. पूरे देश में अभी भाजपा का आजीवन सहयोग निधि कार्यक्रम चल रहा है. इस कार्यक्रम में सभी को टारगेट दिया गया है. एक जानकारी के अनुसार झारखण्ड के हर एक सांसद को 25 -25 लाख का लक्ष्य दिया गया है. जबकि इसी अनुपात में विधायकों को भी टारगेट दिया गया है. सभी जी जान से लगे हुए है. कोई टारगेट से नीचे नहीं रहेगा, हो सकता है कि सब निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा कलेक्शन पार्टी को दे. क्योंकि 2024 में लोकसभा का भी चुनाव होना है और विधानसभा का भी चुनाव होना है. ऐसे में अपना कद बढ़ाने में कोई कैसे पीछे रह सकता है. हालांकि यह कार्यक्रम भाजपा का पूरे देश में चल रहा है. धनबाद में भी यह कार्यक्रम चल रहा है. यह तो हुई सांसद और विधायकों की बात, इनके अलावा भी भाजपा में जिला स्तर पर कई पदाधिकारी हैं, कई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं, सबको कुछ ना कुछ करना पड़ सकता है.
देश सहित पूरे झारखंड में चल रहा अभियान
पूरे झारखंड में अभी आजीवन सहयोग निधि का काम तेज गति से चल रहा है. 2024 के चुनाव को लेकर वैसे सभी पार्टियां अपना -अपना प्रयास शुरू कर दी है. सभाएं होने लगी है, भाजपा ने तो फिलहाल एक महीने का महा जनसंपर्क अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत लोगों को मोदी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर पहुंचाना है. लोगों को बताना है कि भाजपा की सरकार ही देश हित में है और भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जो लोगों के बारे में सोचती है. बहरहाल धनबाद में भाजपा के सांसद हैं तो बगल के गिरिडीह में भाजपा समर्थित आजसू के सांसद है. धनबाद के 6 विधानसभा क्षेत्रों में चार भाजपा के पास है जबकि झरिया कॉन्ग्रेस और टुंडी झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है. सांसद पशुपतिनाथ सिंह धनबाद संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार सांसद है.
कोयलांचल में सक्रिय हो गए है भाजपाई
भाजपा के लोग कोयलांचल में सक्रिय हो गए हैं और सब की कोशिश है कि आजीवन सहयोग निधि में टारगेट से अधिक पैसा पार्टी के केंद्रीय फंड को पहुंचाया जाए. वैसे, झारखंड इस बार भाजपा के लिए महत्वपूर्ण राज्य बन सकता है. भाजपा अगर बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश को साध ले तो उसे बहुत सारी सहूलियत हो सकती है. झारखंड में भाजपा के 12 सांसद हैं तो एक कांग्रेस के और एक झारखंड मुक्ति मोर्चा से है. भाजपा इस बार कोशिश करेगी कि झारखंड के 14 सीटों पर उसका कब्जा हो तो विपक्षी दल भी यह कोशिश करेंगे कि उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिले. संथाल परगना सभी पार्टियों के लिए केंद्र में रहेगा. संथाल पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. 2019 में भी भाजपा ने संथाल पर ध्यान केंद्रित किया था लेकिन अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली थी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो