रांची(RANCHI):मामला भले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है. लेकिन यहां की राजनीतिक तपिश की आंच झारखंड में भी महसूस की जा रही है. कांग्रेस ने पिछले दिनों कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर घोषणा पत्र जारी किया था. इस घोषणापत्र में अन्य बातों के अलावा सरकार बनने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है.
कर्नाटक के बाद झारखंड में बजरंग दल पर प्रतिबंध को लेकर मचा हंगामा
बेंगलुरु में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने घोषणा पत्र जारी किया था. उसके बाद से भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया. और अब जब चुनाव प्रचार का अंतिम चरण चल रहा है. तो राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है. ना सिर्फ कर्नाटक में बल्कि झारखंड में भी राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है. झारखंड की राजनीति में भी बजरंग दल को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि कांग्रेस आरंभ से तुष्टीकरण की राजनीति करती आई है. एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए इस तरह के विचार रखती है. जबकि यह सच है कि बजरंग दल जैसे राष्ट्रीय संगठन पर प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है.
बजरंग दल पर छिड़ी राजनीतिक जंग
बजरंग दल के बारे में यह माना जाता है, कि यह एक हिंदूवादी संगठन है. जो हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए काम करता है. इस संगठन में सनातन धर्म के प्रति कुछ खास उग्रता देखी जाती है. देश के कुछ हिस्सों में इनके कामकाज पर सवाल उठाते हुए चर्चा की गई है. जिस प्रकार से विश्व हिंदू परिषद है, उसी तरह से बजरंग दल भी एक हिंदूवादी संगठन है.
क्यों संकट में बजरंगबली को याद कर रही है बीजेपी
अब जानिए झारखंड में राजनेताओं की बयानबाजी सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी लोगों ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार रखे हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है, कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा संकट से घिरी हुई है. इसलिए वह संकट में बजरंगबली को याद कर रही है. सच्चाई यह है कि बजरंग दल और बजरंगबली में भारी अंतर है. इसलिए भाजपा विधानसभा चुनाव में इसको एक मुद्दा बनाते हुए अपनी ओर जनाधार को खींचना चाहती है.
बजरंग दल एक आपराधिक संगठन है- सुप्रियो भट्टाचार्य
सबसे बड़ा और कड़ा बयान झारखंड मुक्ति मोर्चा का है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कांग्रेस के साथ सुर तो मिलाया ही उनसे आगे बढ़ते हुए कहा कि बजरंग दल एक आपराधिक संगठन है. और झारखंड में अगर उसने उपद्रव किया, तो यहां पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बयान के बाद से या मामला और गरमा गया है.