रांची (RANCHI) : चतरा लोकसभा क्षेत्र के दंगल में कांग्रेस ने झारखंड के पूर्व मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी उर्फ केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. उनका सामना चतरा से बीजेपी प्रत्याशी कालीचरण सिंह से होगा. आजादी के बाद से आज तक चतरा से कोई स्थानीय चुनाव नहीं जीत पाया है. 2024 के चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा जोर पर रहा, जिसकी वजह से भाजपा ने दो बार के सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया. वहीं कांग्रेस ने पलामू के रहने वाले केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी घोषित किया.
कौन हैं कृष्णानंद त्रिपाठी उर्फ केएन त्रिपाठी
केएन त्रिपाठी का जन्म 3 अप्रैल 1972 को पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड अंतर्गत तोरा गांव में हुआ. वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा डालटनगंज के दसमेश मॉडल स्कूल से हुई. बाद मे वे जिला स्कूल से मैट्रिक परीक्षा की. उन्होंने डालटनगंज जीएसए कॉलेज से इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन किया. उसके बाद उनकी नियुक्ति एयर फोर्स में हो गयी. कुछ दिनों तक बेंगलुरु और सूरतगढ़ में वायुसेना में सेवा दी. उसी दौरान 1999 में नई दिल्ली में उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से हुई. कहा जाता है कि सोनिया गांधी से मुलाकात उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. इसके बाद उन्होंने एयर फोर्स की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा.
केएन त्रिपाठी का सियासी सफर
चतरा प्रत्याशी केएन त्रिपाठी ने 2005 में पहली बार चुनाव लड़े. कांग्रेस ने उन्हें डालटनगंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. लेकिन दिग्गज नेता इंदर सिंह नामधारी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में केएन त्रिपाठी ने फिर भाग्य आजमाया, लेकिन उन्हें चुनाव में सफलता हाथ नहीं लगी. इसके बाद 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर केएन त्रिपाठी को डालटनगंज सीट से प्रत्याशी घोषित किया. केएन त्रिपाठी ने पहली बार 2009 में जीत हासिल की. विधायक बनने बाद झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बने. 2014 के विधानसभा चुनाव में केएन त्रिपाठी को हार का समाना करना पड़ा. उनको झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी आलोक चौरसिया ने हराया. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी फिर केएन त्रिपाठी को आलोक चौरसिया ने पराजित किया. 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए भी नामांकन किया, लेकिन उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था. उनके 20 आवेदनों में से चार में हस्ताक्षर में भिन्नता पायी गई थी.
चतरा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
चतरा में कभी मौर्य वंश का शासन हुआ करता था. यहां का इतिहास देखें तो उसमें मुगलों का भी जिक्र आता है. हालांकि वर्तमान में यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. 2019 के डाटा के मुताबिक चतरा लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 9 लाख 25 हजार है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 21 लाख 75 हजार 924 है. यहां की लगभग 95 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, वहीं पांच प्रतिशत आबादी शहर में है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर एससी समुदाय की आबादी 28.2 प्रतिशत है और एसटी समुदाय की आबादी 21.82 प्रतिशत, ईसाई 2.94 है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13.5 प्रतिशत है.
क्या है चुनावी मुद्दे
सबसे खास बात यह है कि चतरा लोकसभा क्षेत्र से आज तक कोई भी स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बना है. हालांकि, इस बार भाजपा ने स्थानीय को उम्मीदवार बनाया है. वहीं शिक्षा और रोजगार के मामले में यह इलाका अब भी पिछड़ा हुआ है. चतरा संसदीय क्षेत्र खनिज संसाधनों से भरपूर है, यहां केवल खनिज संसाधनों का दोहन ही हुआ है. इस क्षेत्र में न तो रोजगार के अवसर हैं और न ही शिक्षा की सुविधाएं. यह एक बड़ी समस्या है. अब देखना होगा कि आने वाले चुनाव में लोगों के इन मुद्दों पर कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी कितने सफल हो पाते हैं.