धनबाद(DHANBAD): कर्नाटक में फंसा कांटा निकल गया है. सिद्ध रमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री और डी शिवकुमार उप मुख्यमंत्री होंगे. कुमार प्रदेश अध्यक्ष भी रहेंगे. मतलब की कांटे को निकालने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अपने ही निर्णय को तवज्जो नहीं दिया. पार्टी ने उदयपुर चिंतन शिविर में "एक व्यक्ति एक पद" का संकल्प लिया था लेकिन डी शिवकुमार को सरकार और संगठन में जिम्मेवारी दी गई है. यह निर्णय आगे कांग्रेस के लिए कहां कहां परेशानी पैदा करेगा, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन कर्नाटक में फिलहाल जो हालात पैदा हुए थे. उस पर कांग्रेस आलाकमान ने काबू पा लिया है.
5 दिनों तक रस्साकशी चलती रही, उसके बाद निर्णय लिया गया. हालांकि कांग्रेस कर्नाटक की उपलब्धि को हर एंगल से लाभ की कोशिश कर रही है. शपथ ग्रहण समारोह के बहाने विपक्षी एकता का संदेश देने की कोशिश कर रही है. कॉन्ग्रेस शपथ ग्रहण समारोह में समान विचारधारा वाली पार्टियों के नेताओं को बुलाएगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपक्षी दलों के नेताओं को निमंत्रित करेंगे. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से विपक्षी दल भी उत्साहित हैं. विपक्षी दलों के कई नेताओं ने कर्नाटक में जीत का कांग्रेस के साथ इसे पूरे विपक्ष की जीत करार दिया था.
कांग्रेस महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहां है कि शपथ ग्रहण समारोह में समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा. दरअसल 5 साल पहले 23 मई 2018 को एचडी कुमार स्वामी ने कांग्रेस ,जेडीएस गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उस वक्त भी कई विपक्षी दलों के नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे. इसे 2019 से पहले विपक्षी एकता की तस्वीर के तौर पर देखा गया पर बाद में एकजुटता बरकरार नहीं रही. लेकिन कांग्रेस की यह सोच है कि इस बार स्थितियां कुछ अलग है.
विपक्षी दलों के नेता होंगे शामिल
कर्नाटक के पहले से ही विपक्षी एकता की कोशिश चल रही है. ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों के नेताओं के इकट्ठा होने से इसे मजबूती मिलने की उम्मीद कांग्रेस आलाकमान कर रहा है. कर्नाटक में होने वाले कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ,बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित किया जाएगा. नीतीश कुमार अभी विपक्षी एकता के बाहक बने हुए हैं. सब दल के नेताओं से वह मिल रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक में फिलहाल उपजे विवाद का तो हल निकाल लिया है लेकिन आगे राजस्थान की हालात कर्नाटक में न बने, इसके लिए अभी से ही पार्टी को सचेत और चौकन्ना रहना होगा. डी शिवकुमार के खिलाफ कई मामले चल भी रहे हैं .ऐसे में उन पर दबाव रहेगा. भाजपा चाहेगी कि कर्नाटक में कोई न कोई खर मंडल हो जबकि कॉन्ग्रेस आलाकमान के सामने प्रदेश में एकजुटता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी. देखना है कि कांग्रेस को कर्नाटक में जीत से मिला उत्साह किस हद तक 2024 के चुनाव में काम आता है या उसके पहले ही खर मंडल हो जाता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो