रांची(RANCHI) : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा ईडी के समन के खिलाफ़ दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की ओर से दलील आ जाने के बाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री की याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि जब सभी समन की तारीख खत्म हो चुकी है. तब ऐसे में इसपर सुनवाई का कोई आधार नहीं बनता. इसके बाद सभी पक्षों से बात करने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. वहीं ईडी के समन के खिलाफ दायर याचिका के खारिज होने पर जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि हम निराश नहीं हैं हमें देश की सर्वोच्च अदालत से भरोसा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लीगल टीम सारी चीजों को देख रही है. खुद मुख्यमंत्री इन चीजों को मॉनिटर कर रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष
मुख्यमंत्री की ओर से PMPLA एक्ट की धारा 50 और 63 को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने इसपर कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला ले चुका है. अब इस पर सुनवाई का यहां कोई आधार नहीं बनता. मुख्यमंत्री की ओर से आज कोर्ट में वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की.
सीएम के समक्ष क्या है विकल्प
अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने तमाम विकल्प खुले हैं, लेकिन जब तक कोई नया समन उन्हें जारी नहीं होता है, तब तक उनके सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई आधार नहीं है. लेकिन, इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में PMPLA एक्ट की धारा 50 और 63 पर 18 अक्टूबर को एक मामले में रिव्यू होनी है.
क्या है पूरा मामला, एक नजर में जानिए
रांची में रक्षा मंत्रालय की करीब साढ़े चार एकड़ जमीन को धांधली कर खरीद-फरोख्त हुई. साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप लगे.इस मामले में शीर्ष नौकरशाह, नेता और सरकारी अधिकारी आरोपी है.सीएम हेमंत सोरेन के करीबी नेता भी भ्रष्टाचार के इस मामले में जेल में बंद हैं. ईडी इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन से भी पूछताछ करना चाहती है लेकिन हेमंत सोरेन के ईडी के समक्ष पेश ना होने के चलते अभी तक उनसे पूछताछ नहीं हो सकी है. उन्हें पांच बार समन किया गया अब हाईकोर्ट से याचिका खारिज हो गई अब ईडी कारवाई के लिए फ्री हो गई है.
भाजपा सांसद संजय सेठ ने दी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से मिले बड़े झटके को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर है,संजय सेठ ने कहा की हेमंत सोरेन अगर गलत नहीं है तो उन्हें ईडी के समन पर ईडी कार्यालय जाना चाहिए था और ईडी के तमाम सवालों का जवाब देना चाहिए था.अब धीरे धीरे दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. मुख्यमंत्री के इस तरह के व्यवहार से संदेश भी गलत जा रहा है.