धनबाद(DHANBAD) : तो क्या संथाल परगना में झारखंड मुक्ति मोर्चा नए ढंग से उम्मीदवारों की खोज शुरू कर दी है. क्या चंपाई सोरेन और लोबिन हेंब्रम के भाजपा में शामिल होने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा के पुराने नेताओं की मांग के अनुसार अभी से पार्टी सचेत और सजग है. यह सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि संथाल परगना के महेशपुर विधानसभा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक प्रोफेसर स्टीफन मरांडी की पुत्री उपासना मरांडी के राजनीति में शामिल होने की चर्चा धीरे-धीरे तेज होने लगी है. दरअसल, 25 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंत्री जोबा मांझी , विधायक कल्पना सोरेन, उपासना मरांडी एक साथ हेलीकॉप्टर से संथालपरगना पहुंचे थे. सभी सांसद विजय हांसदा की पत्नी के निधन पर श्रद्धांजलि देने गए थे.
दो-तीन दिनों से फोटो में है खूब चर्चा
वह दिन 25 अगस्त का था, लेकिन यह तस्वीर संथाल परगना में दो-तीन दिनों से वायरल हो रही है और इसके माने मतलब निकाले जा रहे है. चर्चा तो यह भी की जा रही है कि प्रोफेसर स्टीफन मरांडी की पुत्री उपासना मरांडी अपने पिता की सीट पर चुनाव लड़ सकती है. यह अलग बात है कि यह सब चर्चा में है, लेकिन स्टीफन मरांडी की वारिश भी उनकी पुत्री ही है. यहअलग बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से महेशपुर में दावेदारों की कमी नहीं है. कई लोग दावेदार हैं और वह मानकर चल रहे हैं कि अगर पार्टी स्टीफन मरांडी को स्वास्थ्य के कारणों से टिकट नहीं देती है, तो संगठन के लिए काम करने वाले लोकल नेताओं को टिकट मिलनी चाहिए. जो भी हो लेकिन फोटो के वायरल होने के बाद संथाल परगना की राजनीति में थोड़ी गर्माहट आ गई है. यह अलग बात है कि फाइनल निर्णय क्या होगा, इसकी सबको प्रतीक्षा करनी होगी.
2019 में 34000 से अधिक वोटो से जीते थे चुनाव
2019 के विधानसभा चुनाव में प्रोफेसर स्टीफन मरांडी ने भाजपा के उम्मीदवार मिस्त्री सोरेन को लगभग 34000 से अधिक वोटो से परास्त किया था. स्टीफन मरांडी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता है. स्टीफन मरांडी झारखंड मुक्ति मोर्चा के लंबे समय से सदस्य रहे हैं. साल 2005 के झारखंड विधान सभा चुनाव में टिकट कट जाने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. दुमका सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ कर जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन को हरा दिया था. 2005 में जब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी तो वो बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा में शामिल हो गए, लेकिन कुछ ही दिन बाद झारखंड विकास मोर्चा से भी इस्तीफा दे दिया और मधु कोड़ा के नेतृत्व वाली सरकार के साथ हाथ मिला लिया. बाद में कुछ समय के लिए वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी शामिल हुए.स्टीफन मरांडी 1978 से राजनीति कर रहे हैं. मरांडी 1980 में झामुमो के टिकट पर दुमका सीट से पहली बार विधायक बने. स्टीफन मरांडी 1985, 1990, 1995 और 2000 के चुनाव में भी झामुमो के टिकट पर लगातार पांच बार चुने गए. 2005 में झामुमो ने मरांडी का टिकट काटकर हेमंत सोरेन को पहली बार इस क्षेत्र से मैदान में उतारा. 2005 में मरांडी निर्दलीय मैदान में उतरे और विजयी हुए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो