रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा बजट सत्र का आज दूसरा दिन है. विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में लगा हुआ है तो वहीं सत्ता पक्ष के विधायक भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सत्ता पक्ष के विधायक इस सत्र में सरकार को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं.
एक ओर जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी धरने पर बैठे दिखे, तो वहीं झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम अलग ही तरीके से सरकार का विरोध करते नजर आए.
अलग अंदाज में विधानसभा पहुंचे लोबिन
इरफान अंसारी एक पूल की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं. वहीं झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम अलग ही अंदाज में 1932 और नियोजन नीति की मांग करते हुए विधानसभा में पहुंचे.
लोबिन हेम्ब्रम हरे रंग के पारंपरिक आदिवासी पोशाक में कांवर लिए विधानसभा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जल, जंगल जमीन की एक पट्टी माथे में बांध रखी थी, वहीं उनका कांवर भी हरे रंग का ही था.
लोबिन ने ये कहा
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब झारखंडी की पहचान ही नहीं मिल पाएगी, तो फिर बचेगा क्या? झामुमो की सरकार ही झारखड़ियों को पहचान दिलाने के लिए बनी थी. लेकिन ये तो छोड़ो इस सरकार में युवाओं को दरकिनार कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे. फिलहाल, इस लड़ाई में अकेले निकले हैं लेकिन रास्ते में लोग जुड़ते जाएंगे और कारवां बनता जाएगा.
लगातार सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं लोबिन
बता दें कि बोरियो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग को लेकर वे सरकार पर हमलावर रहे हैं. इसके साथ ही पारसनाथ को धार्मिक स्थल घोषित किये जाने के बाद वे सरकार के सबसे बड़े आलोचक बन कर उभरे. वे पारसनाथ को मरांग बुरु घोषित किये जाने की मांग सरकार से कर रहे हैं, इसके लिए उन्होंने सरकार के खिलाफ कई बार प्रदर्शन भी किया.
रिपोर्ट: समीर हुसैन, रांची