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झारखंड का जनादेश: भाजपा के कार्यकर्ता आखिर क्यों पूछ रहे प्रदेश में भाजपा हारी कि हिमंत बिस्वा सरमा?

झारखंड का जनादेश: भाजपा के कार्यकर्ता आखिर क्यों पूछ रहे प्रदेश में भाजपा हारी कि हिमंत बिस्वा सरमा?

धनबाद(DHANBAD): झारखंड का चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के लोग ही पूछ रहे हैं कि प्रदेश में भाजपा की हार हुई है या हिमंत बिस्वा सरमा की. इस सवाल का जवाब तो प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व खोजेगा ही, लेकिन झारखंड में 2019 से भी बुरा हाल भाजपा का हुआ है .आजसू का भी कम बुरा हाल नहीं हुआ है. दूसरी ओर झामुमो प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा है.

संथाल परगना में झामुमो का जलवा अभी  भी बरकरार

गठबंधन में झामुमो को 34, कांग्रेस को 16 ,राजद को चार, माले को दो सीट मिली हैं .तो वहीं एनडीए में भाजपा को 21, आजसू  को एक, लोजपा को एक, जदयू को एक सीट मिली है. बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रहे जेएलकेएम को भी एक सीट मिली है. झारखंड में झामुमो, राजद और माले ने अपना विस्तार किया है. तो कांग्रेस 2019 के रिकॉर्ड तक केवल पहुंच पाई है. चौंकाने वाले रिजल्ट तो झारखंड के हर कोने से आए हैं. लेकिन संथाल परगना में 18 सीटों में से 17 सीट इंडिया ब्लॉक के पास चली गई है. सिर्फ एक सीट पर भाजपा की जीत हुई है. इससे भी बड़ी बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में गई सीता सोरेन भी चुनाव हार गई है. लेविन हेंब्रम भी चुनाव हार गए हैं. वैसे संथाल परगना विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा प्रमंडल है. इसे झामुमो का गढ़ भी माना जाता है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने संथाल परगना से 11 सीट जीतकर यह बता दिया है कि उसका जलवा अभी संथाल परगना में बरकरार है. भाजपा को एकमात्र जरमुंडी विधानसभा सीट पर ही जीत हासिल हो पाई. भाजपा के घुसपैठ के मुद्दे और गोगो दीदी योजना को लोगों ने स्वीकार नहीं किया.

सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम के चेहरे भी संथाल में एनडीए को लाभ नहीं दिला पाए

जामताड़ा में चुनाव शुरू होते ही डॉक्टर इरफान अंसारी का विवादित बयान से भाजपा को उम्मीद थी कि सीता सोरेन को लाभ मिलेगा, लेकिन यह नहीं हो सका. संथाल में एनडीए के बड़े घटक दल भाजपा का घुसपैठियों का मुद्दा फ्लॉप हो गया. सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम के चेहरे भी संथाल में एनडीए को लाभ नहीं दिला पाए. कोल्हान की बात की जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में गए चंपई सोरेन अपनी सीट तो बचा लिए लेकिन उनके बेटे चुनाव हार गए. प्रतिष्ठा मूलक जमशेदपुर पूर्वी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू चुनाव जीत गई. तो जमशेदपुर पश्चिम से मंत्री रहते हुए बन्ना गुप्ता सरयू राय के हाथों पराजित हो गए. वैसे कुल मिला-जुला कर देखा जाए तो झारखंड का यह जनादेश राजनीति का कुछ नया संदेश भी दे रहा है. देखना है आगे आगे होता है क्या. इतना तो तय है कि भाजपा की योजना कहीं काम नहीं आई और झारखंड के इतिहास में पहली बार हेमंत सोरेन लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं .यह अलग बात है कि उनकी चुनौतियां भी कम नहीं है. बावजूद झारखंड के वोटरों ने हेमंत सोरेन पर एक बार भरोसा कर उनकी परीक्षा लेने को बड़ा जनादेश दिया है.

रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो 

Published at:24 Nov 2024 10:53 AM (IST)
Tags:Jharkhand assembly election Jharkhand politics Jharkhand government Hemant Soren Bjp jharkhand JmmCongress Election 2024Jharkhand assembly election result
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