धनबाद(DHANBAD): जेल में रहते हुए कोर्ट से इजाजत लेकर हेमंत सोरेन विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने गए थे. यह सब को याद होगा. हेमंत सोरेन ने विधानसभा में कहा था कि -हम जंगल से बाहर जाकर, उनके बराबर बैठ गए, तो उनके कपड़े मैले हो गए. यह शायद उन्होंने भाजपा के लिए कही थी. हालांकि, जेल से बाहर आने के बाद फिर दोबारा उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और उसके बाद तो झामुमो की राजनीति में कई नाटकीय घटनाक्रम हुए. चंपई सोरेन का भाजपा में जाना, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का राजनीति में एंट्री, कुछ ऐसी घटनाएं हैं, जो झारखंड की राजनीति के साथ जुड़ गई है. वैसे तो कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री उस समय हो गई थी, जब जेल जाने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ वह विधायकों की बैठक में शामिल हुई थी.
तभी यह चर्चा चली थी कि हेमंत सोरेन का उत्तराधिकारी बन सकती है. लेकिन अचानक बदली परिस्थितियों में वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकी , तब हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन का नाम आगे कर तत्काल की परिस्थितियों को काबू में किया. उसके बाद तो गिरिडीह की सभा के साथ-साथ राहुल गांधी की न्याय यात्रा के समापन पर मुंबई में कल्पना सोरेन का दिया गया भाषण लॉन्चिंग पैड बन गया. झारखंड कभी झुकेगा नहीं -उनके इस नारे और आत्मविश्वास के साथ उच्चारण आज भी झारखंड की राजनीति गलियारों में गूंज रहा है. चुनावी सभा में भी कल्पना सोरेन ने झारखंड कभी झुकेगा नहीं -कह कर लोगों का दिल जीतने का भरपूर प्रयास किया.
गिरिडीह के झंडा मैदान में 4 मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यक्रम में कल्पना सोरेन की मौजूदगी और उनका भाषण लोगों ने खूब पसंद किया. आंखों में आंसू वाली उनकी तस्वीर और वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल भी खूब हुआ. चुनाव जीतने के बाद भी झारखंड कभी झुकेगा नहीं, आदिवासी कभी झुकेगा नहीं, हम आदिवासी कभी झुकते नहीं ,का नारा आज भी झारखंड की राजनीति में गूंज रहा है. जानकार बताते हैं कि झारखंड कभी झुकेगा नहीं, यह नारा भी चुनाव में काम आया और लोगों के दिल दिमाग पर यह नारा चस्पा हो गया था , जिसका लाभ झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिला. वह झारखण्ड में अबतक का बेस्ट पर्फॉर्मन्स करने में सफल रहा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो