रांची(RANCHI): नशे में झूम रहा है झारखंड, न सिर्फ झूम रहा बल्कि झारखंड नशे के व्यापार को आगे बढ़नेवाले सिंडीकेट की पहली पसंद बनाता जा रहा. झारखंड के रास्ते देश के अन्य राज्यों में दवाई रूपी जहर को भेज जा रहा और इसमें शामिल है यहां के विक्रेता. राजधानी रांची में भी धड़ल्ले से नशे की गिरफ्त में युवा गिरते जा रहे. प्रतिबंधित दवाइयां आसानी से मेडिकल स्टोर में उपलब्ध है. बता दें एक बड़ा सिंडीकेट झारखंड के रास्ते नशीली प्रतिबंधित दवाइयां यूपी बिहार बांग्लादेश नेपाल आदि जगहों पर भेजा जा रहा. झारखंड में नशे का आलम ये है कि अवैध खनन मामले के आरोपी को रिम्स से सीआईपी सिर्फ इसलिए भेजा गया क्योंकि वो नशे का आदि था. क्या बच्चे क्या बूढ़े. कोई भी इस नशे की गिरफ्त मे आसानी से आ जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इनकी सप्लाई कैसे हो रही और कैसे प्रशासन को कोई खबर नहीं हो रही. रांची में ऐसे ही एक ड्रग सिंडीकेट के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा एनसीबी को दे दिया है. नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो को लिखे पत्र में कहा गया है कि राज्य में भारी मात्रा में नशा युक्त कफ सिरप के अवैध व्यापार और सिंडीकेट का पता चला है. इस सिंडीकेट मे हिमाचल की कंपनी स्माइलेक्स हेल्थ केयर और रांची के पंडरा स्थित विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं. विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स ने दो लाख फेनरिस्ट (कोडीन प्रिपरेशन) का ऑर्डर दिया गया था, जबकि कंपनी ने 5.46 लाख फेनरिस्ट की सप्लाई की. नशीली दवाओं की तस्करी की शिकायत मिलने पर विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानांद शर्मा पंकज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स की संचालक बिजेता कुमारी व उनके संबंधी वरुण सिंह, स्माइलेक्स कंपनी व इसके एमआर विपुल तिवारी यह कारोबार कर रहे हैं.
बिना पर्चेज ऑर्डर के खरीदे करोड़ों के प्रतिबंधित दवाएं
रिपोर्ट के अनुसार विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स के पास 5.46 लाख फेनरिस्ट कफ सिरप मंगाए गए लेकिन इस एजेंसी के पास कोई पर्चेज ऑर्डर नही है न इतनी बड़ी मात्र में इन दवाओं को रखने की जगह. एजेंसी के पास सिर्फ 27.10 स्क्वायर मीटर की जगह थी, जो इतनी दवा रखने के लिए पर्याप्त नहीं थी. इधर रिपोर्ट मे ये भी दावा किया गया की 5.46 लाख फेनरिस्ट कफ सिरप में से 3.98 लाख सिरप की बिक्री कर दी गई. इसकी कीमत करीब 4.29 करोड़ रुपए है. आशंका है कि एजेंसी के पास दवा पहुंचने से पहले ही इसकी बड़ी खेप यूपी भेज दी गई. विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स की देख रेख करनेवाले वरुण सिंह पहले भी जांच अधिकारियों की रडार पा या चुके थे. बता दें एनडीपीएस एक्ट के उल्लंघन में वरुण का लाइसेंस रद्द हो चुका है. अपर बाजार के वरुण फार्मा की ओर से भी चोको सिरप की बिक्री की गई है. इस फर्म के मालिक वरुण सिंह हैं, जिनका एनडीपीएस एक्ट के उल्लंघन में लाइसेंस रद्द हो चुका है. इसके बाद भी वरुण विश्वनाथ फार्मास्युटिकल्स के काम की देखरेख करते हैं, जिसे जांच कमेटी ने गलत माना है.
इस मामले में स्थानीय अफसरों के शामिल होने की आशंका
इस पूरे मामले में जांच कमेटी को आशंका है की इतनी बड़ी नशे की खरीदारी मे स्थानीय ड्रग अफसरों की मिलीभगत भी हो सकती है. जांच कमेटी ने कहा है कि झारखंड राज्य औषधि निदेशालय को अवैध कारोबार की जानकारी थी. अब सबसे बाद सवाल ये है की जब झारखंड राज्य औषधि निदेशालयको इसकी जानकारी थी तो फिर इसे रोक क्यों नही गया कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई. इसका सीधा अर्थ है की झारखंड राज्य औषधि निदेशालय उसे संरक्षण दे रहा है. यही कारण है कि स्माइलेक्स कंपनी ने झारखंड में ऑर्डर से ज्यादा कफ सिरप की सप्लाई की. यह सिर्फ नशाखोरी और अधिक मुनाफाखोरी के लिए किया गया. जांच के दायरे मे झारखंड राज्य औषधि निदेशालय के लोग भी आएंगे.
बेहद खतरनाक है ये दवाएं जा सकती है जान भी
बता दें नशे के सौदागरों ने जिस प्रतिबंधित दवाई को बेच है वो बेहद खतरनाक है और इसपर प्रतिबंध भी है. इन नशीले सिरप में एक नाम है कोडीन जिसे डॉक्टरों की सलाह के बिना मरीज को नहीं दिया जाना चाहिए. यह प्रतिबंधित दवा है, जिसके लिए प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य है. इसके बावजूद ड्रग तस्कर इसे ड्रग्स सप्लीमेंट में रूप में बच रहे हैं, जो कम उम्र के लोगों, खासकर बच्चों के लिए प्राणघातक हो सकती है. शरीर में लीवर एक एंजाइम की मदद से कोडीन को मॉर्फीन में बदल देता है. इस वजह से खून में मॉर्फीन का स्तर तेजी से बढ़ जाता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है और लोगों की जान जा सकती है. ऐसे में झारखंड में नशे का कारोबार फलना फूलना यहां की लचर व्यवस्था को प्रदर्शित करता है.