धनबाद(DHANBAD): तो क्या झारखंड में हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाईयों का गुजरात चुनाव से कोई कनेक्शन है या फिर झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनाकर किसी दूसरे खेल की कोशिश की जा रही है. यह सब सवाल हम नहीं कर रहे बल्कि धनबाद से लेकर रांची तक के लोग यह सवाल पूछ रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आज ईडी कार्यालय में पेश होना है, हेमंत सोरेन ईडी कार्यालय में आज जाएंगे, ईडी उनसे सवाल करेगी. सूचना के अनुसार 200 से अधिक सवालों की सूची बनाई गई है. आरोप है कि 1000 करोड़ से अधिक रुपए के अवैध खनन के मामले में कहीं ना कहीं सरकार की भूमिका है. ईडी कार्यालय जाने के पहले मुख्यमंत्री ने भी सरकार को सुरक्षित बचाए रखने की हर संभव कोशिश की है. दबाव बनाने की भी राजनीति की है. बार-बार वह हुंकार भर रहे हैं कि उनके खिलाफ चल रही साजिश को सफल नहीं होने देंगे. कांग्रेस, राजद सहित झामुमो विधायक भी मुख्यमंत्री के हर कदम पर साथ खड़े है.
झारखंड के बने 22 साल बने हो गए लेकिन रघुवर दास की सरकार को छोड़कर कोई सरकार 5 साल तक काम नहीं कर सकी. हमेशा यहां पर प्रयोग होते रहे, नतीजा हुआ कि झारखंड को राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाने लगा. निर्दल विधायक भी यहां मुख्यमंत्री बने और उन पर गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे. 2019 चुनाव में भाजपा की मुंह की खाने के बाद गठबंधन की सरकार बनी और इस गठबंधन की सरकार के मुखिया बने हेमंत सोरेन. 2 जगहों से उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन बाद में दुमका की सीट उन्होंने छोड़ दी. दुमका सीट के हुए चुनाव में भाजपा के लुईस मरांडी को पराजित कर हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक बने. हालांकि खनिज संपदा की लूट के भी आरोप लगाते रहे. धनबाद में तो कोयला चोरी का इतिहास बन गया. लोग कहते हैं कि भूतों और न भविष्यति. इधर, भाजपा भी हेमंत सरकार के खिलाफ लगातार हल्ला बोल रही है. आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. बाबूलाल मरांडी भी खुलकर हमला बोल रहे हैं. भाजपा नेताओं में जितने शीर्ष नेता हैं, सभी हेमंत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ईडी कार्यालय पहुंचना, उनसे पूछताछ के बाद आगे क्या होगा, इस पर धनबाद से लेकर रांची सहित भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नजरें टिकी हुई है.
कांग्रेस के विधायक अनूप सिंह एवं प्रदीप यादव सहित उनके रिश्तेदारों के ठिकानों पर आयकर छापेमारी हुई है. दोनों विधायकों ने आरोप लगाया कि उन्हें परेशान करने के लिए, उन पर दबाव बनाने के लिए यह सब काम किया गया है. बाहर हाल नतीजा चाहे जो हो लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या झारखंड में दबाव की राजनीति काम कर रही है और इस राजनीति का गुजरात चुनाव से भी कोई कनेक्शन है क्या,अथवा मात्र यह एक संयोग है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद