धनबाद(DHANBAD) : रजाई, तोशक के भरोसे झारखंड में राजनीति. शुक्रवार को विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है और यह वर्तमान सरकार के कार्यकाल का भी अंतिम विधानसभा सत्र होगा. लेकिन इस विधानसभा सत्र में जो कुछ भी हुआ या जो कुछ भी आज होगा, सबके तार विधानसभा चुनाव से जुड़े हुए है. विपक्ष ताल ठोक रहा है तो सत्ता पक्ष भी रणनीति बनाकर निश्चिन्त बैठा हुआ है. भाजपा के विधायकों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री का उनके बीच जाना,उन्हें मनाने की कोशिश करना और फिर आंदोलन कर रहे विधायकों का नहीं मानना, कई संदेश दे रहा है. संदेश बहुत साफ है कि झारखंड में विधानसभा चुनाव इस बार सामान्य ढंग से नहीं लड़ा जाएगा. चुनाव तीखा होगा, चुनाव में एक दूसरे के हाथ से बाजी छिनने का प्रयास होगा. उसकी पृष्ठभूमि विधानसभा सत्र में साफ-साफ दिख रही है.
इन विधायकों को किया गया निलंबित
एक साथ 18 विधायकों को निलंबित कर भी झारखंड में इतिहास बनाया गया है. जिन विधायकों को निलंबित किया गया है, उनमें अनंत कुमार ओझा, रणधीर कुमार सिंह, नारायण दास, अमित कुमार मंडल, डॉक्टर नीरा यादव, किशन कुमार दास, केदार हाजरा, विरंची नारायण, अपर्णा सेनगुप्ता, राज सिन्हा, कोचे मुंडा, भानु प्रताप शाही, समरी लाल,सीपी सिंह, नवीन जायसवाल, शशि भूषण मेहता, आलोक कुमार चौरसिया, पुष्पा देवी शामिल है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि निलंबित विधायकों के आचरण की जांच होगी. सदाचार समिति एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी. आसन के खिलाफ इन विधायकों ने अपशब्द कहे और सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया. यह तो पराकाष्ठा है. अगर ऐसी मानसिकता को नहीं रोका गया तो मनोबल बढ़ेगा और घटना की पुनरावृति हो सकती है.
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने क्या कहा
दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने पूरे घटनाक्रम पर सत्ता पक्ष पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि स्पीकर महोदय का निर्णय सर्वोपरि है. अपना न्याय सुनाने के पहले कम से कम स्पीकर को बात तो सुन लेनी चाहिए थी. पूर्व में स्पीकर पर जूते चले थे. सदन में कुर्सी तोड़ी गई थी. हम लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया. लोकतंत्र में सबको विरोध का अधिकार है. वैसे तो झारखंड को राजनीति का प्रयोगशाला कहा जाता है. झारखंड में एक से एक प्रयोग हुए है. निर्दलीय विधायक को मुख्यमंत्री बनाने का श्रेय भी झारखंड के खाते में ही है. बुधवार को रोजगार के मुद्दे पर झारखंड विधानसभा में हंगामा शुरू हुआ. विपक्ष के विधायक बेल में धरने पर बैठ गए. हंगामा के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. पर विपक्ष के विधायक बेल में ही बैठे रहे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मनाने पहुंचे पर विधायक नहीं मानें. बाद में रात 10 बजे के लगभग मार्शल ने सभी को जबरन निकाल दिया. इसके बाद सभी लॉबी में धरने पर बैठ गए. झारखंड विधानसभा में इस तरह की घटना शायद पहली बार हुई है. विधानसभा में बुधवार को प्रश्न काल के दौरान भाजपा विधायकों ने अनुबंधकर्मियों के नियमितीकरण का मामला उठाया. पूरे प्रश्न काल के दौरान भाजपा विधायक नारेबाजी करते रहे.
बाबूलाल मरांडी ने क्या कर दी है घोषणा
बाबूलाल मरांडी ने घोषणा कर दी है कि बीजेपी की सरकार झारखंड में बनते ही सभी अनुबंधकर्मियों को स्थायी कर दिया जाएगा. इधर, भाजपा के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा है कि विधायकों को विधानसभा में बंधक बना दिया गया था. लोकतंत्र में चुनी गई सरकार के द्वारा की जा रही तानाशाही लोकतंत्र की हत्या है. संविदा कर्मियों व अनुबंध कर्मियों का मामला उठाना कोई अपराध नहीं है. हमारी मांग है कि संविदा कर्मियों, अनुबंध कर्मियों की मांग को तत्काल पूरा किया जाए. वर्तमान विधानसभा का संभवत यह अंतिम सत्र होगा. इसके बाद सभी पार्टियों चुनाव को जाएंगी. इसके पहले विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने के लिए जबरदस्त हंगामा किया. हंगामें की परिणति हुई कि 18 विधायकों को एक साथ निलंबित कर दिया गया. झारखंड के इतिहास में भी इतना बड़ा हंगामा पहले नहीं हुआ था. इस तरह का हंगामा भी पहले नहीं हुआ था. क साथ 18 विधायक निलंबित भी नहीं किए गए थे. यानी 2024 के विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड में रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बन या बनाए जा रहे है. देखना है आगे -आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो