धनबाद(DHANBAD): रांची में आज रविवार को कांग्रेस फोल्डर में राजनीतिक गतिविधियां तेज है. सूचना के मुताबिक आज झारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर रांची पहुंच रहे है. सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव जीतने के बाद शपथ लेंगी. जेल गए मंत्री आलमगीर आलम का इस्तीफा भी होगा. उनकी जगह कांग्रेस कोटे के मंत्री का नाम भी कांग्रेस को बताना है. झारखंड में खाली 12वे मंत्री का पद भरा जाएगा कि नहीं ,इस पर भी निर्णय होना है.12वां मंत्री क्या कल्पना सोरेन होगी, यह भी फाइनल होगा. आलमगीर आलम का मंत्रालय तो फिलहाल ले लिया गया है और वह मुख्यमंत्री के पास है. तो क्या आलमगीर आलम की जगह कांग्रेस कोटे से जो मंत्री बनेंगे, उनके पास वही सब विभाग रहेंगे अथवा नहीं, इस पर भी निर्णय होना है. क्या ऐसा भी हो सकता है कि विभागों को अन्य लोगों के बीच बांट दिया जाए.
कांग्रेस को कई मुद्दों पर लेना है निर्णय
इन सब मुद्दों पर निर्णय लेना है. इसके अलावा इस बात की भी समीक्षा कांग्रेस प्रभारी को करनी है कि आखिर कांग्रेस पार्टी की झारखंड में किन सीटों पर किस वजह से हार हुई. आगे उस पर किस तरह से चुनाव लड़ना चाहिए. क्या कहीं भितरघात भी हुआ है और अगर हुआ है, तो कैसे हुआ है, किसने किया है. इन मुद्दों पर भी चर्चा होनी है. वैसे टिकट बंटवारे के बाद से ही सवाल खड़े किए जा रहे थे. झारखंड में लोकसभा में पांच आदिवासी सीटों पर गठबंधन की जीत हुई है. जिनमे दो कांग्रेस के खाते में गई है और तीन झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में. खूंटी सीट को मान लिया जा रहा है कि वह सीट कालीचरण मुंडा के व्यक्तिगत प्रभाव और प्रयास से मिली है. 2019 के चुनाव में काफी कम मतों से वह अर्जुन मुंडा से हारे थे. लोहरदगा सीट पर सुखदेव भगत कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते है. झारखंड में 7 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी और जीत केवल दो सीटों पर भी हुई.
धनबाद से कांग्रेस की करारी हार हुई
धनबाद लोकसभा में कांग्रेस की करारी हार हुई. 2019 के चुनाव से मात्र 1,16,000 अधिक मत कांग्रेस उम्मीदवार प्राप्त कर सकी , हजारीबाग में भी कांग्रेस ने जो प्रयोग किया, वह कोई काम नहीं आया. चतरा में भी कांग्रेस की हार हुई. रांची में भी कांग्रेस हार गई. गोड्डा में भी कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा. इसी साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. नवंबर या दिसंबर में विधानसभा के चुनाव हो सकते है. हेमंत सोरेन विधानसभा चुनाव के पहले जेल से बाहर निकलते हैं अथवा जेल में ही रहते है. यह कहना भी कठिन है. झारखंड में फिलहाल गठबंधन की सरकार चल रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ,कांग्रेस और राजद का गठबंधन है. विधानसभा चुनाव में भी संभवत पार्टिया गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में सरकार फिर से बनाना गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है तो एनडीए के लिए सरकार पर फिर से काबिल होना उससे भी बड़ी चुनौती है. देखना है आगे आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो