धनबाद(DHANBAD): झारखंड में 2024 के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारा एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों के लिए चुनौती बनी हुई है.आगे यह चुनौती और अधिक हो सकती है. जानकारी के अनुसार झारखंड प्रदेश भाजपा ने केंद्रीय नेतृत्व से अनुरोध किया है कि 70 सीटों पर पार्टी अपना उम्मीदवार दे. अगर ऐसा होता है तो बची 11 सीटों पर एनडीए को चार साझेदारों के बीच सीट बांटनी होगी. यह चार साझेदार होंगे आजसू,जदयू, लोजपा और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी .यह काम चुनौती पूर्ण हो सकता है. वैसे भाजपा नेताओं का दावा है कि विधानसभा चुनाव की घोषणा के पहले सीट शेयरिंग पर समझौता कर लिया जाएगा. गुरुवार को इसको लेकर गहमा गहमी भी थी.
वैसे कहा जाता है कि सीट शेयरिंग में सीधे तौर पर प्रदेश भाजपा शामिल नहीं है. 2014 में भाजपा आजसू और लोजपा का गठबंधन था. लेकिन 2019 में बात नहीं बनने पर सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. 2019 के विधानसभा चुनाव में जिस सीट ने झारखंड में भाजपा की राजनीति को ही बदल दिया, वह सीट थी कोल्हान की जमशेदपुर पूर्वी सीट. इस सीट पर निर्दलीय सरयू राय ने रघुवर दास को पराजित कर सबको चौंकाया था .इसके साथ ही रघुवर दास की चुनावी राजनीति हाशिए पर चली गई. फिलहाल वह ओडिशा के गवर्नर हैं. हालांकि चर्चा तो यह भी है कि वह चाहते हैं कि फिर से चुनावी राजनीति में लौट जाए. लेकिन यह कितना संभव होगा यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि अब सरयू राय के जदयू में शामिल होने के बाद जमशेदपुर पूर्वी सीट को जदयू अपना बता रहा है. समझौता के तहत यह सीट जदयू के खाते में जा सकती है. ऐसे में 2019 में झारखंड की राजनीति की धुरी बनी यह सीट इस बार फिर विवाद पैदा कर सकती है.
इधर इंडिया ब्लॉक की बात की जाए तो इंडिया ब्लॉक के सामने भी परेशानी हो सकती है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ,कांग्रेस, राजद और वाम दलों के बीच सीट शेयरिंग होनी है . एके राय की पार्टी का विलय हो गया है. इससे इंडिया ब्लॉक के लोगों को भी सीटों से समझौता करना पड़ सकता है. वैसे कांग्रेस भी 2024 के विधानसभा चुनाव में अधिक सीट मांग सकती है, क्योंकि झारखंड में कांग्रेस को भी अपनी राजनीति दिखानी है.
18 सितंबर के बाद कांग्रेस की सीट शेयरिंग पर होगा चर्चा
झारखंड में 18 सितंबर के बाद कांग्रेस की सक्रियता बढ़ सकती है. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए फिलहाल उनकी सक्रियता नही है. इस वजह से झारखंड में सीट शेयरिंग की बात अभी कांग्रेस की ओर से थोड़ी कम है. 18 सितंबर को जिस सीट से गुलाम अहमद मीर चुनाव लड़ रहे हैं, वहां चुनाव पूरा हो जाएगा .इसके बाद ही वह झारखंड आएंगे. झारखंड के कुछ नेता जम्मू कश्मीर में भी हैं. उनके लौटने के बाद सीट शेयरिंग की बात गति पकड़ सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 15 सितंबर को झारखंड आ रहे हैं
विधानसभा चुनाव के पहले ही भाजपा ने कुछ नए प्रयोग किए हैं. चंपाई सोरेन को पार्टी में शामिल कर भाजपा कोल्हान में नए ढंग से राजनीति की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 15 सितंबर को झारखंड आ रहे हैं. सवाल उठता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री का जादू चलेगा या हेमंत सोरेन फिर से सत्ता पर काबिज होंगे, यह देखने वाली बात होगी.