दुमका(DUMKA): कुछ महीने बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव की तैयारी में सभी राजनीतिक दल जुट गयी है. जोड़ तोड़ और वादों का दौर शुरू हो चुका है. लगता है आगामी चुनाव में मंईयां सम्मान योजना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है.
एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों के लिए अहम है विधान सभा चुनाव
झारखंड विधानसभा चुनाव एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों के लिए अहम है. इंडी गठबंधन सत्ता में बने रहने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है तो 5 वर्षो तक सत्ता से दूर रहने वाला एनडीए गठबंधन सत्ता पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. राज्य सरकार जनता के बीच अपनी उपलब्धियां गिना रही है, तो विपक्ष सरकार को ना केवल चुनावी घोषणा पत्र याद करा रहा है, बल्कि राज्य सरकार की नाकामी को जन जन तक पहुंचाने में लगी है.
बेरोजगारी और महंगाई जैसे चुनावी मुद्दे पर भारी ना पड़ जाए मंईयां योजना!
अमूमन किसी भी राज्य के विधान सभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सुरक्षा, बेरोजगारी, महंगाई जैसे जनहित से जुड़े सवाल चुनावी मुद्दा बनता रहा है, लेकिन लगता है आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में आधी आबादी यानी नारी शक्ति को साधने के मुद्दा सर्वोपरी रहने वाला है और उसकी शुरुवात झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना से हो चुकी है.
सरकार के 5 वर्षों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है मंईयां सम्मान योजना की
चुनावी वर्ष में हेमंत सोरेन की सरकार नित नई योजनाओं को अमली जामा पहनाने के साथ ही नई नई घोषणाएं कर रही है. लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा जिस योजना की हो रही है उसका नाम है झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना. लगभग एक महीने पूर्व राज्य सरकार द्वारा इस योजना की शुरुवात की गई और देखते ही देखते यह योजना सबसे ज्यादा चर्चा में आ गयी. योजना के तहत राज्य सरकार 21 से 50 वर्ष तक कि पात्र महिलाओं के बैंक खाता में डीबीटी के माध्यम से प्रत्येक महीने एक हजार रुपये दे रही है. राजनीति के जानकार सरकार की इस योजना को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं. आधी आबादी को साध कर सरकार सत्ता में दोबारा आना चाहती है.
मंईयां योजना को लेकर खूब हो रही है राजनीति
मंईयां योजना को लेकर इन दिनों खूब राजनीति भी हो रही है. योजना लागू होने के कुछ दिन बाद ही इसे रोकने के लिए हाई कोर्ट में पीआईएल दायर किया गया है. झामुमो इसका ठेकरा भाजपा के माथे फोड़ रही है तो भाजपा अपना पल्ला झाड़ते हुए इसे हेमंत सोरेन की करतूत करार दे रही है. दोनों के अपने अपने तर्क है. इस सबके बीच जगह जगह महिलाएं पीआईएल दायर होने के विरोध में सड़कों पर उतर कर भाजपा का पुतला दहन कर रही है. वैसे तो विरोध जताने वाली महिलाएं अपने आप को आम महिला बताती है लेकिन आए दिन राजनीतिक दल विशेष के कार्यक्रम में अधिकांश महिलाओं को देखा जा सकता है.
मंईयां योजना को लेकर शुरू हुआ वादों का खेल
इस सबके बीच मंईयां योजना को लेकर भाजपा और झामुमो ने वादों की झड़ी लगा दी. असम के सीएम और भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्वा सरमा ने रांची में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो महिलाओं के लिए मंईयां योजना से भी बड़ी योजना लांच की जाएगी. उन्होंने इसके लिए बांड भरवा कर रख लेने तक की बात कही. हिमंता के इस बयान के बाद भला हेमंत सोरेन कैसे चुप रह सकते थे. बुधवार को रांची में आयोजित मंईयां सम्मान योजना कार्यक्रम में मंच से हेमंत सोरेन ने इस योजना का लाभ 18 वर्ष के लाभुकों से शुरू करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इसके लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया कुछ दिनों में शुरू कर दी जाएगी. सीएम यहीं चुप नहीं रहे. उन्होंने घोषणा कि की इंडी गठबंधन की सरकार बनते ही महिलाओं के खाता में 12 हजार के बदले एक लाख रुपया सालाना दिया जाएगा.
मंईयां योजना बनेगा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा!
राजनीति के जानकारों का मानना है कि आगामी विधान सभा चुनाव में मंईयां योजना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है. सभी दलों की नजर आधी आवादी को साधने पर है. जो दल कोर महिला वोटर में सेंधमारी करने में सफल रहेगा उसकी ताजपोशी की संभावना ज्यादा है. यही वजह है कि मंईयां योजना के सहारे आधी आवादी को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल वायदों की झड़ी लगा रहा है.
रिपोर्ट-पंचम झा