धनबाद(DHANBAD): झारखंड में विधानसभा चुनाव की अभी तो केवल "डुगडुगी" बजी है, लेकिन बात "चील- कौवे और गिद्ध " तक पहुंच गई है. मतलब साफ है कि चुनाव आते-आते जुबानी जंग और तेज होगी. "बिलो बेल्ट" भी बातें कहीं जा सकती है. इस बार झारखंड विधानसभा में चुनावी लड़ाई दिलचस्प होगी, क्योंकि सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा बेचैन है, तो सत्ता को बचाने के लिए गठबंधन भी सजग और सक्रिय है. बुधवार को कोल्हान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपाइयों ने अपने घरों में नोट छापने की मशीन लगा ली है. नोट के बल पर देश पर कब्जा करना चाहते है. सांसद व विधायकों को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में "चील -कौवे" मंडरा रहे है. इनसे सावधान रहने की जरूरत है.
हेमंत सोरेन लगातार बोल रहे तेज हमला
भाजपाई सत्ता पर काबिज होने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक केंद्रीय मंत्री इन दिनों कोल्हान में घूम रहे है. वह कोल्हान में सांसद और विधायकों को खरीदने के लिए चक्कर काट रहे है. उनसे कोई तो पूछे कि वह मनरेगा में दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे कम मजदूरी झारखंड में क्यों दे रहे है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि की मांग के लिए राज्य सरकार केंद्र के कार्यालय का चक्कर लगाती रही, पर राशि नहीं मिली. लेकिन अब राशि का आवंटन किया जा रहा है. झारखंड सरकार ने राशि नहीं मिलने पर "आ बुआ आवास योजना" की शुरुआत की. मुख्यमंत्री ने लोगों को भरोसा दिया कि ,जिन्हें घर नहीं मिला है या नहीं मिलेगा , उन्हें झारखंड सरकार देगी. हालांकि मुख्यमंत्री के बयान पर भाजपा भी चुप नहीं रही. भाजपा के झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने कह दिया कि ऐसी भाषा वह लोग नहीं बोलते, लेकिन सत्ताधारी दल के लोग झारखंड को "चील- कौवे" की तरह नोच- नोच कर खा रहे है.
भाजपा भी पलटवार करने में नहीं की देर
यहाँ भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है. झारखंड में नोटों के पहाड़ मिल रहे है. आदिवासियों का क्या हाल है, कानून- व्यवस्था की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपी नहीं है. झारखंड में कोई सुरक्षित नहीं है. सरकार के लोग बालू से लेकर खनिज तक खा और पी रहे है. जल जीवन मिशन का पूरा पैसा बर्बाद कर दिया गया. प्रधानमंत्री ने हर घर जल के लिए पैसा भेजा, परंतु गांव में पैसा पहुंचा नहीं. 5 साल तक झारखंड सरकार ने नौकरी नहीं दी और अब 10 किलोमीटर तक दौड़ा कर युवाओं की जान यह सरकार ले रही है. जो भी हो लेकिन झारखंड में चुनाव को लेकर सभी दल आक्रमक तैयारी शुरू कर दिए है. प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. भाजपा ने रायशुमारी का काम पूरा कर लिया है. कांग्रेस भी आगे बढ़ चुकी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा भी सक्रिय हो गया है. यह अलग बात है कि एनडीए हो या इंडिया ब्लॉक, इस बार गठबंधन करने में सबों के पसीने छूटेंगे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो