दुमका(DUMKA):झारखंड विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई.जनता ने इंडी गठबंधन पर भरोसा जताया. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दोबारा सरकार बन गई. मंत्रियों के बीच विभाग का बंटवारा भी हो गया. अब राज्य में तेजी से विकास होगा ऐसी उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभा के कारण विकास कार्य बाधित रहा. इस सबके बीच हम बात कर रहे है दुमका जिला के जामा विधान सभा की.1967 से 2024 तक हुए 14 चुनाव में 9 बार जनता ने झामुमो प्रत्याशी को विधायक बनाया लेकिन आज तक यहां के विधायक को मंत्री पद पर आसीन होने का मौका नहीं मिला.
1967 से 2024 तक हुए 14 चुनाव में 9 बार जनता ने झामुमो प्रत्याशी को दिया आशीर्वाद
जामा विधानसभा 1967 में अस्तित्व में आया तब से अब तक जहां कुल 14 चुनाव हुए जिसमें 9 बार झामुमो, तीन बार कांग्रेस जबकि भाजपा और निर्दलीय को एक-एक बार जीत मिली. 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुंशी हंसदा यहां के पहले विधायक बने.1969 से 1977 तक कांग्रेस के टिकट पर मदन बेसरा ने जीत की हैट्रिक लगाई. 1980 में इस सीट पर झामुमो की मजबूत नींव पड़ी और देवान सोरेन पहली बार झामुमो के टिकट पर विधायक चुने गए.झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन पहली बार 1985 में जामा से ही विधायक चुने गए.1990 में मोहरिल मुर्मू झामुमो के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. 1995 और 2000 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन को यहां की जनता ने अपना जनप्रतिनिधि चुना, लेकिन 2005 में भाजपा के टिकट पर सुनील सोरेन ने झामुमो के गढ़ में सेंधमारी कर विधायक बने. सुनील की बादशाहत बरकरार नहीं रही। 2009 में यहां से शिबू सोरेन की बड़ी पुत्रवधू सीता सोरेन विधायक चुनी गई, जो 2014 और 2019 में चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाने में सफल रही। जबकि 2024 के चुनाव में झामुमो के टिकट पर डॉ लुईस मरांडी को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया.
1985 में पहली बार शिबू सोरेन जामा से बने विधायक, दुर्गा सोरेन 2 तो सीता सोरेन 3 टर्म रही विधायक
जामा विधान सभा को झामुमो का गढ़ माना जाता है. यहां की जनता ने न केवल दिसोम गुरु शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्य बल्कि पार्टी ने जिसे टिकट दिया उसे अपना कीमती मत देकर विधान सभा पहुंचाया.1980 से 2024 तक 6 बार शिबू सोरेन या फिर उनके पारिवारिक सदस्य ही विधायक बने जबकि 3 बार सोरेन परिवार से बाहर पार्टी ने जिसे टिकट दिया उसकी जीत हुई. 1980 से 2024 के बीच सिर्फ 2005 में ही यहां झामुमो को पराजय का सामना करना पड़ा.
9 बार झामुमो प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद देने वाली जामा की जनता को आज तक नहीं मिला मंत्री
दुमका जिला का जामा विधान सभा एक ऐसा सीट है जिसने शिबू सोरेन और उनके परिवार को एक नई पहचान दी। 1985 में पहली बार शिबू सोरेन इसी सीट से जीत कर विधायक बने. 2 टर्म दुर्गा सोरेन और 3 टर्म सीता सोरेन ने यहां का प्रतिनिधित्व किया. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कई बार दिसोम गुरु शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन सीएम बने.वर्ष 2019 में गठबंधन की सरकार हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी.संकट के बाबजूद सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया.2024 के चुनाव में इंडी गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला. एक बार फिर सरकार के अगुवा हेमंत सोरेन बने.इसके बाबजूद आज तक जामा के किसी भी विधायक को मंत्री बनने का सौभाग्य नहीं मिला.वजह चाहे जो भी हो लेकिन इन दिनों दुमका जिला में इस तरह की चर्चा चौक चौराहे पर जरूर हो रही है.
रिपोर्ट-पंचम झा