धनबाद(DHANBAD): झारखंड में चुनाव की राजनीति अभी से ही तेज हो गई है. शुक्रवार को भाजपा जहां युवा आक्रोश रैली निकलेगी, वही झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इसके जवाब में झारखंडी अधिकार मार्च का आयोजन करेगा. दोनों ओर से भीड़ जुटेगी. सभी अपनी अपनी ताकत दिखाएंगे. झारखंडी अधिकार मार्च झारखंड के सभी जिलों में निकाला जाएगा. भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान रांची पहुंच गए हैं. युवा आक्रोश रैली को धार देने की कोशिश कर रहे हैं .
हेमंत सोरेन से ना झारखंड संभल रहा है और ना ही पार्टी: शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हेमंत सरकार युवा आक्रोश रैली से डर गई है. भाजपा कार्यकर्ताओं को जगह-जगह रोका जा रहा है. यह अन्याय की अति है. एक डरा हुआ मुख्यमंत्री ही ऐसा कर सकता है. उन्होंने रांची में कहा कि हेमंत सोरेन से ना झारखंड संभल रहा है और ना ही पार्टी. भाजपा कार्यकर्ता उनके गीदड़ भभकी से डरने वाले नहीं है. अधिकारियों को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया. कहा कि अधिकारियों को भी समझना चाहिए कि यह दो महीने की सरकार है.
हेमंत ने भी विपक्ष पर साधा निशाना
इधर मेदिनी नगर में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा नेताओं से अपनी पार्टी संभल नहीं रही है और दूसरे दलों को परेशान कर रहे हैं. दूसरे राज्य के नेताओं को बुलाकर भाजपा षड्यंत्र कर रही है. लेकिन राज्य की जनता की ताकत पर महागठबंधन की सरकार टिकी हुई है और यह सुचारू रूप से चलती रहेगी. महागठबंधन की सरकार विकसित और खुशहाल झारखंड बनाने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गांव को विकास से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष युवा आक्रोश रैली निकालने वाला है. युवाओं का भविष्य तो इन लोगों ने गर्त में डाल दिया है. सर्वाधिक नियुक्ति रेलवे, बैंक, फोर्स ,कोल इंडिया में होती है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे बंद कर दिया है. अब नियुक्तियों का सारा बोझ राज्य सरकार पर डाल दिया गया है. फिर भी हमने हार नहीं मानी है. नियुक्तियां दे रहे हैं. अभी सिपाही की बहाली होनी है. जो भी हो लेकिन झारखंड में चुनावी राजनीति का माहौल अभी से ही बनना शुरू हो गया है.
विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड में चुनावी राजनीति शुरू
चंपाई सोरेन को लेकर भी अभी सस्पेंस बना हुआ है. उनका अगला कदम क्या होगा ,इसको लेकर अभी भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है. चंपाई सोरेन को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी चुप है. अगर कोई कुछ कहता भी है तो बहुत सधा हुआ बयान देता है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड की चुनावी राजनीति गर्म होनी शुरू हो गई है. भाजपा फिर से झारखंड में सरकार बनाने की कोशिश में है तो महागठबंधन भी सरकार पर फिर से काबिज होने के लिए हर उपक्रम कर रहा है. झारखंड सरकार भी चुनावी मोड में दिख रही है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो