टीएनपी डेस्क: गिरफ्तार आलमगीर आलम की न केवल सरकार और संगठन में गहरी पैठ थी बल्कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 63,108 वोटो से हराकर जीत हासिल की थी. यह पाकुड़ में उनकी चौथी जीत थी. इस जीत उन्हें कद्दावर नेता बना दिया. फिर झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए. जानकारी के अनुसार आलमगीर आलम 1995 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा. सीट पाकुड़ ही थी लेकिन भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता के हाथों हार गए थे. साल 2000 में फिर उन्होंने मिहनत की और भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को पटखनी देते हुए पहली बार विधायक बने. उन्हें 49000 के लगभग वोट प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा प्रत्याशी को 35000 के आसपास मत मिले थे. लोग तो यह भी बताते हैं की पहली बार विधायक बनते ही आलमगीर आलम को अभिवाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में हस्त करघा विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था.
बिहार में छह महीने रहे थे मंत्री
लेकिन मात्र 6 माह तक ही मंत्री रहे, फिर 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य अलग बन गया और यहां भाजपा की सरकार बनी. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम ने जब जीत दर्ज की तो उन्हें 71 हज़ार से अधिक वोट मिले ,वहीं भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को 46000 मत मिले. दूसरी जीत हासिल करने के बाद उन्हें मधु कोड़ा की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया गया था. महागठबंधन की सरकार में मंत्री रहते हुए पिछले कई महीनो से आलमगीर आलम प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर थे. पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम महागठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री थे और उनका दर्जा दूसरे नंबर का था. . 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस ,नौकर और करीबियों के यहां से 32 करोड रुपए से अधिक बरामद किए गए. 7 मई को पीएस के करीबी राजीव सिंह के यहां से 2.14 करोड रुपए बरामद किए गए .8 मई को झारखंड के इतिहास में पहली बार सचिवालय में छापा पड़ा . पीएस के चेंबर से दो लाख रुपए से अधिक मिले. 12 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने आलमगीर आलम को समन भेज पूछताछ के लिए बुलाया. 14 मई को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में आलमगीर आलम से पूछताछ हुई. संपत्ति पर सवाल दागे गए.
15 मई को की गई है गिरफ्तारी
15 मई को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में दिन भर पूछताछ के बाद शाम को गिरफ्तारी की घोषणा की गई. चुनाव के ठीक पहले और झारखंड में चार सीटों पर लोकसभा का चुनाव होने के बाद कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी की खूब चर्चा हो रही है .प्रवर्तन निदेशालय को अगर मंत्री का रिमांड मिलता है तो पूछताछ में और क्या खुलासे होते हैं, इस पर सबकी नजर टिकी हुई है.पिछले साल 23 फरवरी को गिरफ्तार हुए तब के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम का मामला धीरे-धीरे मंत्री तक पहुंच जाएगा, इसकी भनक लोगों को नहीं थी. 7 मई 2024 को मंत्री के पीएस संजीव लाल की गिरफ्तारी हुई थी. फिर उसी दिन संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम की गिरफ्तारी की गई थी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो