धनबाद(DHANBAD): झारखंड में घोटाले की लंबी फेहरिश्त होती जा रही है. लौह अयस्क घोटाला, जमीन घोटाला ,नियुक्ति घोटाला, कोल् लिंकेज घोटाला, पत्थर खनन घोटाला के बाद अब टेंडर घोटाले की चर्चा तेज है. टेंडर घोटाले में मंत्री आलमगीर आलम गिरफ्तार कर लिए गए है. अब यही से सवाल उठता है कि क्या झारखंड अलग राज्य की मांग करने वाले लोगों ने क्या कभी यह सोचा होगा कि यह घोटालों का प्रदेश बन जाएगा. झारखंड के साथ ही दो अलग राज्य बने थे, जिसमे उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ भी शामिल थे. प्रवर्तन निदेशालय ने मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया है. आईएएस मनीष रंजन भी पूछताछ के दायरे में है. कई और अधिकारी रडार पर चल रहे है. इधर, सूत्रों का दावा है कि दो मंत्री समेत दर्जन भर विधायकों के नाम भी टेंडर घोटाले में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सामने आ रहे है. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जिन विधायकों के नाम आ रहे हैं, वह विधायक किसी न किसी रूप में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से ठेका का आवंटन कराया.
ठेकों में खूब हुए कमीशन के खेल
इन ठेकों में भी कमीशन का खेल हुआ है. इधर ईडी चार साल में ग्रामीण विकास विभाग के सभी टेंडर की जांच पड़ताल में जुट गया है. जानकारी के अनुसार जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, टेंडर घोटाले का आकार बड़ा होता जा रहा है. अब तक इस मामले में एक दर्जन से अधिक इंजीनियर और ठेकेदारों का बयान दर्ज किया जा चुका है. ईडी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सिर्फ टेंडर घोटाले ही नहीं बल्कि ट्रांसफर घोटाले की बातें भी सामने आ रही है. प्रवर्तन निदेशालय को इस बात के भी संकेत मिले हैं कि राज्य के जल संसाधन विभाग के सचिव स्तर के एक अधिकारी ने एक इंजीनियर से तबादला रोकने के लिए 10 लाख रुपए लिए. इस भुगतान को लेकर हुए चैट को भी परिवर्तन निदेशालय ने प्राप्त कर लिया है. सचिव स्तर के एक अधिकारी को एक इंजीनियर ने ग्रामीण विकास विभाग में एक्सटेंशन पर बने रहने के लिए पैसे दिए थे. यह पैसे जमशेदपुर के किसी इंजीनियर से लिए गए थे. ग्रामीण ग्रामीण विकास विभाग में ठेकों में कमीशन के खेल को लेकर सहायक इंजीनियरों की भूमिका भी सामने आई है.
खुल सकते है कई और छुपे राज
आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद कई और राज खुलने की चर्चा तेज है. गिरफ्तार आलमगीर आलम की न केवल सरकार और संगठन में गहरी पैठ थी बल्कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 63,108 वोटो से हराकर जीत हासिल की थी. यह पाकुड़ में उनकी चौथी जीत थी. इस जीत उन्हें कद्दावर नेता बना दिया. फिर झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए. जानकारी के अनुसार आलमगीर आलम 1995 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा. सीट पाकुड़ ही थी लेकिन भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता के हाथों हार गए थे. साल 2000 में फिर उन्होंने मिहनत की और भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को पटखनी देते हुए पहली बार विधायक बने. उन्हें 49000 के लगभग वोट प्राप्त हुए थे जबकि भाजपा प्रत्याशी को 35000 के आसपास मत मिले थे. लोग तो यह भी बताते हैं की पहली बार विधायक बनते ही आलमगीर आलम को अभिवाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में हस्त करघा विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था. लेकिन मात्र 6 माह तक ही मंत्री रहे, फिर 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य अलग बन गया और यहां भाजपा की सरकार बनी. वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में आलमगीर आलम ने जब जीत दर्ज की तो उन्हें 71 हज़ार से अधिक वोट मिले ,वहीं भाजपा प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को 46000 मत मिले.
विधानसभा अध्यक्ष भी बने थे आलमगीर आलम
दूसरी जीत हासिल करने के बाद उन्हें मधु कोड़ा की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया गया था. महागठबंधन की सरकार में मंत्री रहते हुए पिछले कई महीनो से आलमगीर आलम प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर थे. पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम महागठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री थे और उनका दर्जा दूसरे नंबर का था. . 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस ,नौकर और करीबियों के यहां से 32 करोड रुपए से अधिक बरामद किए गए. 7 मई को पीएस के करीबी राजीव सिंह के यहां से 2.14 करोड रुपए बरामद किए गए .8 मई को झारखंड के इतिहास में पहली बार सचिवालय में छापा पड़ा . पीएस के चेंबर से दो लाख रुपए से अधिक मिले. 12 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने आलमगीर आलम को समन भेज पूछताछ के लिए बुलाया. 14 मई को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में आलमगीर आलम से पूछताछ हुई. संपत्ति पर सवाल दागे गए. 15 मई को प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में दिन भर पूछताछ के बाद शाम को गिरफ्तारी की घोषणा की गई.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो