रांची - झारखंड बीजेपी के मोर्चा का गठन कर दिया गया है. इनके अध्यक्षों का नाम घोषित कर दिया गया है. बाबूलाल मरांडी ने सभी सातों मोर्चा के अध्यक्षों के नाम पर मोहर लगा दी है. इस सूची में क्या खास बात है यह हम आपको बताते हैं.
भाजपा में कितने हैं मोर्चा
भाजपा में सात मोर्चा कार्यरत है.राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक मोर्चा का गठन होता है.जब भी राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर पर पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नया बनता है तो वह अपनी टीम की घोषणा करता है. उसी कड़ी में मोर्चा का भी गठन किया जाता है. बाबूलाल मरांडी ने भी सभी सातों मोर्चा के अध्यक्ष तय कर दिया है. हम आपको बता दें कि युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, ओबीसी मोर्चा,अनुसूचित जाति मोर्चा, ओबीसी मोर्चा के अलावा किसान मोर्चा होता है.
नवगठित मोर्चा अध्यक्षों के बारे में जानिए
प्रदेश स्तर पर मोर्चा के अध्यक्षों के नाम की घोषणा हो गई है. युवा मोर्चा का अध्यक्ष शशांक राज को बनाया गया है.महिला मोर्चा की अध्यक्ष आरती सिंह बनाई गई हैं.ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष अमरदीप यादव बने हैं.अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अनवर हयात बने हैं. अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष शिव शंकर उरांव बने हैं.इसके अलावा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पवन साहू को बनाया गया है अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष किशुन दास बने हैं.
इनके बारे में खास जानकारी जरूर पढ़िए
हम बता दें कि सात में से चार मोर्चा के अध्यक्ष को दोबारा दायित्व दे दिया गया है यानी ये सभी रिपीट हो गए हैं. सिर्फ तीन मोर्चा के अध्यक्ष नए हैं. अगर उनमें भी देखेंगे तो एक अध्यक्ष दोबारा बने हैं. महिला मोर्चा की अध्यक्ष आरती सिंह बनाई गई हैं.आरती सिंह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिवंगत लक्ष्मण गिलुआ की कमेटी में भी महिला मोर्चा की अध्यक्ष थीं.
सिमरिया के विधायक किशुन दास को अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इस पद पर अभी तक अमर कुमार बाउरी थे. अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष शिव शंकर उरांव को दोबारा बना दिया गया है. यानी वे रिपीट किए गए हैं. इसके अतिरिक्त हम आपको बता दें कि ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष अमरदीप यादव लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बने हैं. पवन साहू को दोबारा किसान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है. इस सूची में दो ही नाम ऐसे हैं जो नए हैं. एक तो किशुन दास दूसरा शशांक राज. मोर्चा के प्रदेश अध्यक्षों के नाम की घोषणा से पार्टी के नेताओं में कहीं निराश तो कहीं खुशी देखी जा रही है. बाबूलाल मरांडी ने संभवत यह सोचकर चार मोर्चा अध्यक्षों को लगातार दूसरी बार दायित्व दिया है क्योंकि आने वाले समय में लोकसभा के चुनाव होने हैं. उसके बाद विधानसभा के भी चुनाव होंगे.इसलिए बहुत बड़ा फेरबदल नहीं किया गया है.सिर्फ भारतीय जनता युवा मोर्चा और अनुसूचित जाति मोर्चा में बदलाव किया गया है.