रांची :- जल,जंगल, जमीन और प्राकृतिक नेमतो से आमद झारखंड को कुदरत ने सबकुछ बख्शा है. लेकिन, आज भी प्रदेश अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत सारे मामलों में पिछड़ा ही नजर आता है.
नीचे से दूसरे पायदान पर झारखंड
वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सर्वे के मुताबिक झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले लोगों का मासिक प्रति व्यक्ति खर्च यानि एमपीसीआई 2763 रुपए हैं. जबकि शहरी क्षेत्रों मे रहनेवालों का खर्चा 4931 रुपए है. ये आंकड़े और भारत सरकार के सर्वे में अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड नीच से दूसरे पायदान पर है. सबसे अंतिम पायदान पर छत्तीसगढ़ है . यहां ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 2466 रुपए, वही शहरी क्षेत्रों में एमपीसीइ 4483 रुपए है.
अगर पूरे देश के ग्रामीण इलाकों के औसत एमपीसीइ की बात करे ये 3773 और शहरी क्षेत्र का 6459 है. जहां तक बात ग्रामीण इलाके में सबसे अच्छी स्थिति की है तो इसमे अव्वल सिक्किम है. यहां ग्रामीण इलाकों को एमपीसीइ 7731 रुपये है, जबकि शहरी इलाकों में सबसे अच्छी स्थिति में चंडीगढ़ की है. यहां प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 12575 रुपये है.
दो दशक में बढ़ी है प्रति व्यक्ति खपत
हालांकि पिछले दो दशक के आकंड़े देखे तो मासिक खपत में इजाफा हुआ है. वर्ष 2000 में देश के ग्रामीण लोगों की प्रति व्यक्ति मासिक खपत या खर्च 486 रुपये थी. वहीं शहरी लोगों की प्रति व्यक्ति खपत 855 रुपये थी. जो बढ़ कर अभी 6459 हो गयी है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय 3773 हो गयी है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की बीच खपत में अंतर पहले 75.9 फीसदी थी, यह घटकर 71.2 फीसदी हुआ है. दरअसल, साल 2000 के बाद के वर्षों में शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच मासिक प्रति व्यक्ति खर्च का गैप काफी हो गया था. वर्ष 2004-05 में यह गैप 90.8, 2009-10 में 88.2 तथा 2011-12 में यह 83.9 फीसदी हो गया था.
घरेलू खर्च पर हुआ अध्य्यन
सर्वे के दौरान वर्ष 2000 से लेकर 2023 तक के घरेलू खर्च पर होने वाले खर्च का भी अध्ययन किया गया. इसमें पाया गया है कि वर्ष 2000 में खान-पान पर कुल खर्च का करीब 59.40 फीसदी खर्च होता था. जो घटकर 2022-23 में 46.38 प्रतिशत हो गया. खान पान के अतिरिक्त वाला खर्च बढ़ा है. इसमें करीब 10 फीसदी की बढ़ोत्तरि हुई है. हालांकि, वर्ष 2000 में जहां कुल घर खर्च का 40.60 फीसदी खर्च होता था. वह खर्च बढ़कर 2023 में करीब 53.62 फीसदी हो गया है.
भाजपा ने चंपाई सरकार को घेरा
झारखंड के वजूद में आए दो दशक से ज्यादा वक्त हो गये हैं और अब 25 साल भी हो जाएगे. लेकिन, झारखंड को जिस गति से विकास करना चाहिए, उतना नहीं हो सका .पिछले बीस वर्षों में बेशक सुधार हुआ है. लेकिन, इसकी रफ्तार कम है . भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सर्वे में मासिक खर्च के मामले में झारखंड के नीचे से दूसरे पोजिशन पर होना दर्शाता है कि गरीबी की जकड़न में अभी भी एक बड़ी आबादी है. इस मसले पर झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अमित मंडल इस पर चिंता जताते है और इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना कि सरकार निवेश पर ध्यान नहीं दी है , जबकि खनीज संपदा संपन्न झारखंड की इकनॉमी में अच्छा पैसा है . लेकिन, इसका उपयोग प्रदेश सरकार की ओर से नहीं किया जा रहा है.
सभी राज्यों के मासिक प्रति व्यक्ति खर्च के आकंड़े नीचे दिए गये हैं, जिसे देख सकते हैं.
राज्य- ग्रामीण शहरी (रुपये में)
सिक्किम 7731 12105
चंडीगढ़ 7467 12575
अंडमान 7332 10268
गोवा 7367 8734
पुडुचेरी 6590 7706
दिल्ली 6576 8217
केरल 5924 7078
लक्ष्यदीप 5895 5475
हिमाचल प्रदेश 5561 8075
पंजाब 5315 6544
तमिलनाडू 5310 7630
अरुणाचल 5276 8636
मिजोरम 5224 7655
त्रिपुरा 5206 7405
आंध्र प्रदेश 4870 6782
हरियाणा 4859 7911
तेलंगना 4802 8158
उत्तराखंड 4641 7004
कर्नाटक 4397 7666
नगालैंड 4393 7098
मणिपुर 4360 4880
जम्मू-कश्मीर 4296 6179
दादर नागर हवेली 4184 6298
लद्दाख 4035 6215
महाराष्ट्र 4010 6657
गुजरात 3798 6621
मेघालय 3514 6433
असम 3432 6136
बिहार 3384 6136
प बंगाल 3239 5267
उत्तर प्रदेश 3191 5040
मध्य प्रदेश 3113 4987
ओडिशा 2950 5187
झारखंड 2763 4931
छत्तीसगढ़ 2466 4483